दाखिल खारिज बिहार How to apply Bihar Land mutation ( Dakhil kharij , jamabandi) online in hindi – Bihar Land mutation Dakhil kharij : बिहार सरकार ने ऑनलाइन दाखिल खारिज सेवा राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मदद से सभी जिले में शुरू कर दिया गया है दाखिल खारिज बिहार में ऑनलाइन शुरू होने से काफी परेशानी काम हो गया है जिससे लोग अपने जमीन के मालिकाना हक़ पाने के लिए ऑनलाइन म्युटेशन करवा सकते है
क्या होता है दाखिल खारिज बिहार ऑनलाइन?
जमीन रजिस्ट्री कराने के बाद दाखिल खारिज (प्रॉपर्टी म्यूटेशन) करने बहुत हि जरूरी है दाखिल खारिज से हि पता चलता है कि प्रॉपर्टी एक व्यक्ति कि नाम से दूसरे व्यक्ति कि नाम पर ट्रांसफर कर दिया गया है दाखिल खारिज होने कि बाद ही प्रॉपर्टी टैक्स रिकॉर्ड में नया खरीदने वाले व्यक्ति का नाम अपडेट होता है जो आपके मालिकाना हक़ का सबूत होता है ।
दाखिल खारिज बिहार ऑनलाइन आवेदन?
जब भी आप कोई जमीन खरीदते हैं उसके रजिस्ट्री के बाद उसका दाखिल खारिज कराना अनिवार्य होता है जवाब दाखिल खारिज करा लेते हैं उसके बाद उस जमीन का सरकारी रिकॉर्ड में आपके नाम से जमाबंदी बन जाता है और आप उस जमीन का टैक्स अपने नाम से सरकार को दे सकते हैं दाखिल खारिज कराने के लिए सबसे पहले बिहार भूमि की ऑफिशियल वेबसाइट http://biharbhumi.bihar.gov.in/Biharbhumi पर जाना होगा
इस साइट पर जाने के बाद यहां ऑप्शन मिल जाएगा “ऑनलाइन दाखिल ख़ारिज आवेदन करें” का जिस पर क्लिक करना होगा जैसे आप इस पर क्लिक करते हैं एक नया वेबसाइट खुल जाएगा जो कि बिहार भूमि दाखिल खारिज का होगा।
STEP-1 – दाखिल खारिज रजिस्ट्रेशन करें
इस वेबसाइट पर आने के बाद यहां आपसे ईमेल आईडी और पासवर्ड मांगा जाता है अगर आपका अकाउंट नहीं होगा तो आपको सबसे पहले रजिस्टर करना होगा जिसके लिए नीचे में रजिस्टर का बटन मिल जाएगा.
जब आप रजिस्टर बटन पर क्लिक करते हैं उसके बाद एक नया फॉर्म खुल जाता है जिसमें आपका नाम मोबाइल नंबर ईमेल आईडी और पासवर्ड पूछा जाता है इसके अलावा नीचे कॅप्टचा कोड देना होता है और कॅप्टचा कोड दे करके आपको अपना एड्रेस भी पूरा भरना है और उसके बाद Register Now पर क्लिक करना है जिसके बाद ओटीपी देकर वेरीफाई कर लेना है और आपका अकाउंट बन जाएगा।
जब आप का रजिस्ट्रेशन हो जाता है और आपका आईडी बन जाता है उसके बाद लॉगइन पेज पर आकर ईमेल आईडी देना है जो ईमेल आईडी आप रजिस्टर करते वक्त देते हैं वही देना है और जो पासवर्ड रजिस्ट्रेशन करते वक्त रखते हैं वही पासवर्ड पासवर्ड में दे देना है और लॉगिन कर लेना है जब आप लॉग इन कर लेते हैं उसके बाद आपका सारा डिटेल दिखा देता है
दाखिल खारिज नया आवेदन करें
नीचे में सबसे पहले जिला चुना है जिस जिला में जमीन होगा वही जिला चुनाव और उसके बाद अंचल चल रहा है अब आपको दाखिल खारिज ने आवेदन करें वाले बटन पर क्लिक करना है
जिसके बाद एक फॉर्म खुल कर के आ जाता है जो अलग अलग 6 टैब में होता है जिसमें सबसे पहला टैब में एप्लीकेंट डिटेल देना होता है मतलब जो आवेदन करता है उसका सारा जानकारी देना होता है जैसे उसका नाम उसके अभिभावक का नाम दाखिल खारिज का प्रकार ईमेल आईडी मोबाइल नंबर एड्रेस आदि जानकारी देना होता है
- दूसरे टैब मैं डाक्यूमेंट्स डिटेल देना होता है मतलब जमीन के बारे में सभी जानकारी देना होता है
- तीसरे टाइप में बाया डिटेल देना होता है मतलब जिसके नाम से दाखिल खारिज होना होता है उसके सारा जानकारी देना होता है
- चौथे टाइप में सैलरी डिटेल देना होता है मतलब जो जमीन बेच रहा है या जिसके नाम से जमाबंदी नए व्यक्ति के नाम पर चढ़ाया जाएगा उसका नाम दे रहा होता है उसके बाद अगले टैब में प्लॉट डिटेल देना होता है खाता खेसरा खतियान कितना होता है और सबसे लास्ट में सभी जानकारी का दस्तावेज मतलब प्रूफ पीडीएफ में बनाकर अपलोड करना होता है
- जब डॉक्यूमेंट अपलोड कर आवेदन सबमिट कर देते हैं उसके बाद एक केस आईडी आपको मिल जाता है जिसकी मदद से आप अपने दाखिल खारिज का स्टेटस चेक कर सकते हैं
फॉर्म भरने के बाद भरा हुआ फॉर्म, ऑनलाइन दाखिल ख़ारिज रसीद , दस्तावेज का कॉपी, पुराना दस्तावेज कॉपी लेकर म्युटेशन ऑफिस में जमा करना होगा। जमीन मालिक के मरने के बाद अगर आप उत्तराधिकारी है तो जरूरी कागजात के साथ वसीयत लेटर दे कर करा सकते है।
ज्यादा जानकारी के लिए नीचे दिए गया वीडियो को देखे। अगर किसी तरह का कोई सवाल है तो कमेंट कर के पूछ सकते है
दाखिल खारिज का स्टेटस चेक करें
दाखिल खारिज आवेदन करने के बाद उसका स्टेटस चेक करने के लिए आपको फिर से बिहार भूमि की ऑफिशल वेबसाइट पर आना है इसमें साइड पर आने के बाद आपको ऑप्शन मिल जाएगा दाखिल खारिज की स्पीड चेक करें उस पर क्लिक करना है
जैसे आप इस पर क्लिक करते हैं एक नया पेज खुल जाता है जो कि म्यूटेशन आवेदन की स्थिति नाम से होता है यहां पर आपको अपना जिला चुना है जिला में जमीन है और उसके लिए आवेदन किया है
वह जिला आपको चुना है उसके बाद लेना है और अंचल चुन लेते हैं तो वित्तीय वर्ष को चुनना होता है मतलब जिस साल में अपने आवेदन किया है वह आप को चुनना होगा और नीचे कुछ ऑप्शन से सर्च करने का ऑप्शन मिलेगा जो इस प्रकार है.
- केस नंबर से खोजे
- डीड नंबर से खोजे
ऊपर दिया गया है दोनों में से कोई एक चुन कर और जानकारी देना होगा और उसके बाद नीचे सर्च बटन पर क्लिक करना होगा जैसे आप इस पर क्लिक करते हैं जो स्टेटस होता है वह आपको बता दिया जाता है कि दाखिल खारिज आपका कहां तक हुआ है अभी और कहां रुका हुआ है यहां से आपको पता चल जाएगा जो भी आप का दाखिल खारिज का स्टेटस होगा
बिहार के जमीन का लगान (टैक्स या मालगुजारी) रसीद ऑनलाइन जमा करे
परिमार्जन पोर्टल : जमाबंदी में सुधार के लिए परिमार्जन पोर्टल शुरू
दाखिल खारिज अस्वीकृति का कारण
आवेदन के समय संलग्न किये गए दस्तावेजों का संदिग्ध या अपठनीय होना ।
- आवेदन भरते समय ये आश्वस्त हो ले आपने मूल प्रति से ही इसकी छाया प्रति अपलोड की है।
- हर दस्तावेज एकदम सुस्पष्ट और पठनीय हो ।
- आवश्यकता अनुसार साक्ष्य के प्रमाणित अनुवाद को भी संलग्न करें।
- अपलोड करने से पहले एक बार पुनः अवलोकन कर ले।
दर केवाला का संलग्न नहीं होना।
- विक्रेता से उसके दर केवाला की मांग करें। अपने केवाला के साथ दर केवाला भी अवश्य ही संलग्न करे। भूमि की बिक्री बिना दाखिल-खारिज कराये उसका क्रय कर देने से इसकी आवश्यकता होती है।
- विक्रेता की रसीद अवश्य संलग्न करें ।
- अस्वीकृति का कारण बँटवारा में आपसी सहमति नहीं होना।
- बँटवारा के बस दो आधार हैं – आपसी सहमति एवं कोर्ट के द्वारा बँटवारा।
- आपसी सहमति से हुए बँटवारा का निबंधन करा लें।
- बँटवारा के बाद ही दाखिल खारिज का आवेदन दे, तत्पश्चात भूमि का क्रय-विक्रय करे।
- बँटवारा अगर पंचनामा के प्रक्रिया से की गयी है तो भी वह भी मान्य है।
- खाता, खेसरा, रकबा के अलावा चौहद्दी का भी स्पष्ट उल्लेख करें।
- जमीन बँटवारा के बाद किसी नए जमाबंदीदार से ही खरीदना श्रेयस्कर होगा।
- अगर सहमति नहीं है तो कोर्ट से बँटवारा करवा लें, बिना बँटवारे की जमीन नहीं खरीदें ।
मिल-जुमला खेसरा का होना ।
- मिल-जुमला खेसरा का अर्थ है केवाला में प्रत्येक खेसरा का रकबा न लिखा होना परन्तु कुल रकबा का होना, केवाला में खेसरावार विवरण का नहीं होना।
- निबंधन करते समय ये सुनिश्चित कर लें कि प्रत्येक खेसरा का सही रकबा और चौहद्दी खेसरावार लिखा गया है।
- पुराने विक्रय पत्र में अगर मिल-जुमला खेसरा की त्रुटि हो तो अपने अंचल कार्यालय में साक्ष्य के साथ उपस्थित हों।
- साक्ष्य के तौर पर अंचल अमीन का मापी प्रतिवेदन और अन्य कागजात जैसे नजरी नक्शा, ट्रेश मैप, चौहद्दीदार का अनापत्ति पत्र, खतियान जिससे किसी खेसरा के रकबा की पुष्टि होती हो, तो उसको प्रस्तुत करें।
विक्रेता की जमाबंदी का कायम नहीं होना।
- विक्रेता के जमाबंदी की ऑनलाइन प्रविष्टि देख लें।
- बंटवारे से प्राप्त हिस्से की भी जमाबंदी कायम हो जाये तब भूमि का क्रय करें।
- विक्रेता के अन्य हिस्सेदारों से भी क्रय से पहले संपर्क कर लें।
- अद्यतन लगान रसीद की जांच करना और आवेदन के साथ संलग्न करना।
- परिमार्जन पोर्टल का उपयोग कर विक्रेता को अपनी जमाबंदी की प्रविष्टि में
- सुधार के लिए आग्रह करना।
विक्रेता एवं जमाबंदी रैयत के बीच संबंध का नहीं होना।
- विक्रेता और जमाबंदी रैयत का एक होना श्रेयस्कर है। विक्रेता और जमाबंदी रैयत में सम्बन्ध स्थापित करने के लिए वंशावली उपलब्ध करायें।
- ये जानकारी ले लें कि विक्रेता ने भूमि किस प्रक्रिया और किन लोगों से प्राप्त की हैं।
- जमाबंदी रैयत के नाम का मिलान विक्रेता से अवश्य कर लें।
- जमाबंदी रैयत की अद्यतन रसीद भी आवेदन के साथ संलग्न करें।
जमीन का विवादित होना।
- क्रेता जमीन हमेशा उनसे खरीदने का प्रयास करें जिनके नाम से जमाबंदी कायम हो।
- जमीन का विवरण, नक्शा, विक्रेता के नाम, पता का मिलान एवं सत्यता की पुष्टि
- ऑनलाइन http://biharbhumi.bihar.gov.in से कर लें।
- निबंधित दस्तावेजों की जांच निबंधन कार्यालय के वेबसाइट http://bhumijankari.bihar.gov.in/ पर की जा सकती है।
- दलालों से दूर रहें।
- गैरमजरूआ आम,खास, कैसरेहिन्द, बकास्त, भूदान, बन्दोबस्ती, सैरात, बाजार, हाट, नदी, पईन, नहर, श्मशान, कब्रिस्तान, मठ, मन्दिर आदि की भूमि का भी क्रय विक्रय निषेध है।
- खाता, खेसरा, रकबा के अलावा चौहद्दी का भी स्पष्ट मिलान कर लें।
- बिना बँटवारे की जमीन नहीं खरीदें। बँटवारा के बाद नए जमाबंदीदार से ही जमीन खरीदना श्रेयस्कर होगा।
- जमीन के निबंधन और लेन-देन से पहले यथासंभव चहारदीवारी निर्माण अथवा सीमाओं की स्थायी पहचान करवा लें।
शांतिपूर्वक दखल-कब्जा का नहीं होना।
- आवेदन करते समय भूमि पर आपका शांतिपूर्वक दखल कब्जा होना एक आवश्यक शर्त है।
- विक्रेता से भूमि का क्रय करने से पहले भूमि विवाद का पता लगा लें।
- आवेदन में दर्शायी भूमि का न्यायालय में विचाराधीन होना आवेदन की अस्वीकृति का कारण बन सकता है।
- अपनी भूमि की सीमाओं का यथासंभव निर्धारण चहारदीवारी, स्तंभों या अन्य माध्यम से करें।
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दाखिल खारिज बिहार ऑनलाइन के 33 फीसदी आवदेन रद और 15 फीसद लंबित
बिहार में आनलाइन व्यवस्था कई सालो से शुरू है लेकिन सिर्फ 56 फीसद लोगों का ही दिए गए समय पर दाखिल-खारिज हो पा रहा है। जबकि, लगभग 33 फीसद आवेदन कर्मचारी या सीओ के द्वारा रद कर दिया जाता हैं। इसके साथ ही 15 फीसद आनलाइन आवेदन लंबित हैं, जिनमें चार फीसद लोगों को 60 दिनों के बाद भी कार्यालय का चक्कर काटना पड़ रहा है।
पटना जिले में दाखिल-खारिज के सबसे अधिक आवेदन फुलवारीशरीफ अंचल में जमा हैं। पटना सदर अंचल में सबसे अधिक केस लंबित हैं। राजधानी के विस्तार वाले अंचल दानापुर, संपतचक, पुनपुन, फुलवारीशरीफ और बिहटा में समय पर जमीन का दाखिल-खारिज करा पाना आसान नहीं है। जिले में इस वर्ष जुलाई तक 3,97,282 लोगों ने दाखिल-खारिज के लिए आवेदन किया है। इनमें से 1,27,366 आवेदन रद हो गए। जिसमे से सिर्फ 2,01, 837 ऑनलाइन आवेदन करने वाले लोगो का समय पर निपटारा किया गया है।
अंचलवार दाखिल-खारिज की स्थिति
अंचल | आवेदन | रद | लंबित | निपटारा |
पटना सदर | 43940 | 15830 | 9261 | 18849 |
फुलवारीशरीफ | 54157 | 18121 | 5146 | 30890 |
पुनपुन | 20478 | 6484 | 2487 | 11507 |
संपतचक | 27249 | 5278 | 3673 | 18298 |
बिहटा | 30024 | 8816 | 5020 | 16188 |
बिक्रम | 10229 | 3212 | 1308 | 5709 |
दानापुर | 31464 | 9967 | 4204 | 17293 |
खुसरूपुर | 7235 | 2541 | 1181 | 3513 |
मनेर | 19470 | 6336 | 3551 | 9583 |
मसौढ़ी | 16030 | 5550 | 3143 | 7337 |
नौबतपुर | 20627 | 7456 | 3669 | 9502 |
पालीगंज | 12324 | 3383 | 2435 | 6506 |
पंडारक | 7663 | 4200 | 1053 | 2410 |
मोकामा | 6636 | 2024 | 801 | 3793 |
फतुहा | 16723 | 4679 | 2544 | 9500 |
दुल्हिनबाजार | 7754 | 3102 | 1681 | 2971 |
धनरूआ | 11964 | 3352 | 2138 | 6474 |
दनियावां | 4879 | 1968 | 570 | 2341 |
अथमलगोला | 5360 | 2851 | 370 | 2139 |
बेलछी | 2462 | 744 | 688 | 1030 |
बख्तियारपुर | 13827 | 4140 | 1370 | 8317 |
बाढ़ | 14425 | 5640 | 1557 | 7228 |
घोसवरी | 2362 | 1674 | 229 | 459 |
21 दिनों के बाद भी लंबित
जिले में 58,079 आवेदन अंचल कार्यालयों में लंबित हैं। इनमें से 60 दिनों से अधिक अवधि का मामला करीब 11,459 है। जिले में 35,311 मामले 21 दिनों के बाद भी लंबित हैं। पटना जिले में सबसे अधिक फुलवारीशरीफ अंचल में 54,157 आवेदन दाखिल-खारिज जमा हुए हैं जिनमें 18 हजार से अधिक रद कर दिए गए।
पटना सदर अंचल में सबसे अधिक मामले हैं लंबित
पटना सदर अंचल में 43,940 आवेदन आए, जिनमें से 15830 रद कर दिए गए। लंबित आवेदनों में पटना सदर अंचल टाप पर है। यहां 9,261 आवेदन लंबित हैं। सदर अंचल में 60 फीसद लोग दाखिल-खारिज से वंचित हैं।
प्लॉट के नक्शे के साथ दाखिल खारिज बिहार ऑनलाइन पर काम शुरू
नये म्यूटेशन में प्लॉट के नक्शे के साथ खाता-खेसरा व रकबा का भी रहेगा फोटो. जिसके लिए राज्य में म्यूटेशन को लेकर नयी व्यवस्था होने जा रही है. इस नयी व्यवस्था में जमीन के दस्तावेज में नाम परिवर्तन के साथ प्लॉट का नक्शा (स्पेटियल मैप) फोटो तो रहेगा ही, खाता, खेसरा और रकबा भी फोटो में होगा. इससे छोटे-से- छोटे जमीन के टुकड़े का क्रय-विक्रय कितनी भी बार हो चौहद्दी का विवाद नहीं होगा.
राज्य में स्पेसियल म्यूटेशन का प्रयोग शुरू हो गया। इस प्रयोग के लिए सरकार ने शेखपुरा जिले के घाट कुसुम्बा प्रखंड के गांव को चुना है। प्रयोग सफल रहा तो जमीन में चौहद्दी का विवाद नहीं होगा। म्यूटेशन (दाखिल खारिज) में दस्तावेज में नाम परिवर्तन के साथ खाता,खेसरा और रकबा के साथप्लॉट का नक्शा भी रहेगा।
विभाग की ओर से आईआईटी रूड़की की टीम को उस गांव का नक्शा और जमीन के स्वामित्व का पूरा ब्योरा दिया जा रहा है। टीम को 15 दिन का समय दिया गया है। टीम उस गांव में प्रयोग कर सरकार को बताएगी कि राज्य के अन्य गांवों में इसे कैसे लागू किया जाएगा। दरअसल इस नई व्यवस्था को लाग करने के लिए सरकार आईआईटी रूड़की की मदद ले रही है। अभी दाखिल खारिज में कागज पर नए खरीददार का नाम खाता, खेसरा और रकबा ही रहता है। बदलाव यह होगा कि दस्तावेज में कागज पर नाम परिवर्तन के साथ प्लॉट का नक्शा (स्पेसियल मैप) और फोटो भी रहेगा।खाता, खेसरा और रकबा भी फोटो में रहेगा. इससे चौहद्दी का विवाद समाप्त होगा।
दाखिल खारिज बिहार ऑनलाइन के साथ नक्शा देने वाला बिहार देश का पहला
दाखिल खारिज के साथ नक्शा देने वाला बिहार देश का पहला राज्य बन जाएगा। शुक्रवार को पटना स्थित सर्वे कार्यालय में आयोजित कार्यशाला में आईआईटी रूड़की के विशेषज्ञ ने बताया कि इस प्रक्रिया सेकम मानव बल और न्यनतम समय में दाखिल खारिज हो जाएगा। दाखिल-खारिज की वर्तमान स्थिति यह है कि जमीन का क्रय होने पर केवल नये खरीदार का नाम, खाता, खेसरा और रकबा ही दर्ज रहता है. रजिस्ट्री के साथ ही ऑनलाइन दाखिल-खारिज के साथ ही नक्शा भी अपडेट हो जायेगा
राजस्व अधिकारी को दिया जाएगा दाखिल खारिज कार्य : विवेक
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह ने कहा है कि मध्यप्रदेश की तर्ज पर राज्य में दाखिल खारिज का कार्य अंचलाधिकारी से लेकर राजस्व पदाधिकारी को देने पर विचार किया जाएगा। उन्होंने मध्यप्रदेश में राजस्व एवं भूमि सुधार को लेकर किए गए प्रावधानों को बिहार में अपनाने पर विचार किए जाने की बातें कही।
श्री सिंह मंगलवार को स्थानीय होटल में विभाग की ओर से आयोजित दो दिवसीय ‘जमीनी बातें’ कार्यशाला के समापन अवसर पर बोल रहे थे। समापन-सत्र में उन बिन्दुओं की पहचान की गई, जिसमें मध्यप्रदेश सरकार ने अच्छा काम किया है और जिनसे बिहार को सीखना है। साथ ही मध्यप्रदेश सरकार के प्रतिनिधियों ने उन बिन्दुओं को रेखांकित किया जिसमें उन्हें बिहार सरकार से सीखने की जरूरत है।
जमीनी बातें सीजन-2 का आयोजन नई दिल्ली में
अपर मुख्य सचिव विवेक सिंह ने कहा कि दिल्ली एवं एनसीआर में रहने वाले बिहारियों को विभाग द्वारा शुरू की गई नई ऑनलाइन सेवाओं के बारे में जानकारी देने और बिहार में चल रहे सर्वे कार्य में उनकी भागीदारी बढ़ाने के मकसद से जमीनी बातें सीजन-2 का आयोजन नई दिल्ली में होगा।
यह आयोजन 30 और 31 अक्टूबर को द्वारका में बने नवनिर्मित बिहार सदन में होगा। कहा कि मध्यप्रदेश में जैसे तहसीलदार और नायब तहसीलदार राजस्व का काम करते हैं उसी तरह बिहार में अंचल अधिकारी और राजस्व अधिकारी को एक दूसरे का पूरक बनाया जाएगा। विभाग इस बात पर विचार करेगा कि दाखिल खारिज का काम अंचल अधिकारी से लेकर राजस्व अधिकारी को दे दिया जाए। फिलहाल बिहार में राजस्व अधिकारियों को जाति, आवास और आय के प्रमाण पत्र जारी करने का अधिकार दिया गया है।
कार्यशाला में आईआईटी रूड़की की टीम द्वारा स्पेशल म्यूटेशन पर प्रेजेंटेशन दिया गया। कार्यशाला को नेशनल काउंसिल ऑफ अप्लायड इकोनॉमिक रिसर्च के सीनियर एडवाइजर दीपक शरण, सर्वे ऑफिस ऑफ इंडिया, देहरादून के निदेशक टीपी मलिक ने भी अपनी प्रस्तुति दी।
पोर्टल और एप बनाने की जरूरत
राजस्व विभाग ने मध्यप्रदेश के आरसीएमएस पोर्टल की तर्ज अपना एक पोर्टल व एप बनाने की आवश्यकता भी महसूस की। यह निष्कर्ष निकला कि बिहार में राजस्व संबंधी नियम-कानून मुख्यत: अंग्रेजों के जमाने के बीटी एक्ट पर आधारित हैं। हालांकि उसमें बहुत संशोधन हुए हैं किन्तु अभी भी उसके ढेर सारे क्लाउज ईस्ट इंडिया कंपनी की जरूरत के हिसाब से लिखे गए हैं। आज की जरूरत के मद्देनजर बिहार में एक मास्टर एक्ट बनाए जाने की जरूरत है जिसमें राजस्व संबंधी सभी नियम, उपनियम एक जगह संकलित किए जाएं।
मध्य प्रदेश की तर्ज पर अलग कैडर पर भी हो रहा है विचार
विवेक कुमार सिंह ने कहा कि इस पर भी विचार होगा कि जैसे मध्य प्रदेश में ग्राम पटेल/कोटवार से लेकर डिप्टी कमिश्नर लैंड रिकार्डस तक अधिकारियों का एक कैडर है वैसा अपने यहां कैसे खड़ा किया जाए। फिलहाल बिहार में डायरेक्टर लैंड रिकार्डस से नीच कोई सुव्यवस्थित कैडर नहीं है। सर्वे के समय जरूर बंदोबस्त पदाधिकारी, सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी आदि की तैनाती की जाती है। आम दिनों में लैंड रिकार्डस को लगातार अपडेट करने की समानांतर व्यवस्था यहां नहीं है।
मध्यप्रदेश के ब्लॉक चेन की क्या बिहार में कोई उपयोगिता है या नहीं, विभाग इसपर भी विचार करेगा। वहां कोटदार मध्य प्रदेश पुलिस रूल्स से गाइड होता किंतु राजस्व विभाग के नियंत्रण में काम करता है। बिहार में चौकीदारों को कुछ ही साल पहले राजस्व विभाग के अधिकार क्षेत्र से बाहर कर दिया गया है। बिहार में फिलहाल राजस्व कर्मचारी जो कि एमपी के पटवारी के समतुल्य है के नीचे राजस्व कर्मी का कोई कैडर मौजूद नहीं है।