मेरीटाइम कोर्स में अच्छी सैलेरी के साथ साथ देश विदेश घूमने का मौका मिलता है. मरीन इंजीनियरिंग एक प्रमुख करियर विकल्प है। हर साल सितंबर के आखिरी गुरुवार को विश्व समुद्री दिवस का आयोजन होता है। समुद्री मार्ग से वैश्विक व्यापार का अधिकांश भाग होता है, जिससे इस क्षेत्र में अनेक करियर अवसर उपलब्ध हैं। इसमें विदेशी यात्रा की विशेषता के साथ-साथ अन्य इंजीनियरिंग शाखाओं की तुलना में उचित सैलरी की सुविधा भी है। इसी कारण अनेक युवा इस जीवनपथ पर प्रवेश कर रहे हैं। चलिए आपको बताते है मेरीटाइम उद्योग में उपलब्ध कोर्स और करियर विकल्पों के बारे में. इस पोस्ट को ध्यान से पढ़े।
समुद्री परिवहन व्यापार का सबसे प्रभावी और अर्थशास्त्रिक तरीका बन गया है, और भारत में व्यापार की बड़ी भाग मात्रा के आधार पर समुद्री मार्ग से होता है। भारतीय उत्पादन और उपभोक्ता की मांग में वृद्धि के साथ, समुद्री व्यापार ने देश की आर्थिक समृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। भारत की 7517 किमी समुद्र तटरेखा है, और यहां पर 13 प्रमुख और 205 सहायक बंदरगाह हैं। मेरीटाइम पेशेवरों के लिए यह क्षेत्र रोमांचक करियर अवसरों से भरा हुआ है। Also Read… Tiger 3 Movie Download link lead in [ 720p, 360p and 480p] Review
मेरीटाइम कोर्स कौन कर सकता है
जो व्यक्ति समुद्र की ओर प्रभावित होते हैं, अलग-अलग बंदरगाहों में यात्रा करने में रुचि रखते हैं और विभिन्न संस्कृतियों को अनुभव करना चाहते हैं, उन्हें मेरीटाइम क्षेत्र में अपार अवसर मिल सकते हैं। मेरीटाइम क्षेत्र नेविगेशन, शिपिंग, व्यापार और अन्य समुद्र-संबंधित गतिविधियों को शामिल करता है, जिसमें शिपिंग एक प्रमुख घटक है। शिपिंग न केवल माल का परिवहन करता है, बल्कि यह लोगों को भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाता है। अगर आप इस क्षेत्र में दिलचस्पी रखते हैं, तो आप किसी विशिष्ट विभाग में प्रवेश कर अपना भविष्य बना सकते हैं।
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मेरीटाइम कोर्स कौन कौन सा है
अनेक उच्च शिक्षण संस्थान मेरीटाइम और शिपिंग शिक्षा की पेशकश करते हैं। इंडियन मेरीटाइम यूनिवर्सिटी (आईएमयू) इस विषय में शिक्षा देनेवाला प्रमुख संगठन है। आईएमयू की 6 शाखाएँ देश में विभिन्न स्थलों पर हैं: नवी मुंबई, मुंबई पोर्ट, कोलकाता, विशाखापट्टनम, चेन्नई, और कोच्चि, और इससे 17 संस्थान जुड़े हुए हैं।
आईएमयू से आप बारहवीं के बाद विभिन्न पाठ्यक्रम जैसे चार वर्षीय बीटेक में मरीन इंजीनियरिंग / नेवल आर्किटेक्चर, तीन वर्षीय बीएससी में नॉटिकल साइंस या शिप निर्माण, बीबीए में लॉजिस्टिक्स और ई-कॉमर्स और दो वर्षीय एमबीए पोर्ट और शिपिंग प्रबंधन में प्रवेश प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा, एक वर्षीय पीजीडीएमई भी प्रदान किया जाता है। पाठ्यक्रम, योग्यता और प्रवेश प्रक्रिया के विवरण के लिए आप आईएमयू की आधिकारिक वेबसाइट http://www.imu.edu.in/ पर जाकर देख सकते हैं।
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मरीन इंजीनियरिंग क्या होता है?
मरीन इंजीनियरिंग एक उचित फील्ड है जिसमें उन्हें समुद्र के अद्वितीय चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। यह फील्ड उन छात्रों के लिए उपयुक्त है जो अभियांत्रिकी में एक विशेष और उत्कृष्ट करियर बनाना चाहते हैं। अगर किसी में यह सभी गुण होते हैं और वह इस चुनौतीपूर्ण फील्ड में अपना करियर बनाना चाहता है, तो उसे मरीन इंजीनियरिंग एक अच्छा विकल्प हो सकता है।
- शैक्षिक योग्यता: मरीन इंजीनियरिंग में प्रवेश पाने के लिए, छात्रों को 12वीं विज्ञान (फिजिक्स, केमिस्ट्री और गणित) विषय से पास होना चाहिए। फिर उन्हें मान्यता प्राप्त इंजीनियरिंग कॉलेज से मरीन इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त करनी होती है।
- व्यक्तिगत गुण: इस फील्ड में जाने वाले छात्रों में समुद्री वातावरण को झेलने की क्षमता होनी चाहिए। वे अकेले और दूरदराज के स्थलों पर काम कर सकते हैं।
- साइकोमेट्रिक और मेडिकल टेस्ट: मरीन इंजीनियर बनने से पहले, छात्रों को साइकोमेट्रिक टेस्ट पास करना होता है, जिसे मानसिक स्थिति का मूल्यांकन किया जाता है। इसके अलावा, उन्हें मेडिकल टेस्ट भी क्लीयर करना होता है।
- प्रोफेशनल विकास: बीटेक/बीई कोर्स पूरा करने के बाद, छात्र मास्टर्स कोर्स भी कर सकते हैं। उन्हें नेवल आर्किटेक्चर, शिप डिजाइन और अन्य संबंधित विषयों पर विशेषज्ञता प्राप्त करने के अवसर मिलते हैं।
- करियर के अवसर: इस फील्ड में जाने वाले छात्रों के लिए विभिन्न पदों पर अवसर होते हैं, जैसे कि यंग इंजीनियरिंग कैडेट से लेकर चीफ इंजीनियर तक।
इस क्षेत्र में करियर बनाने वाले छात्रों को निम्नलिखित बिंदुओं पर विचार करना चाहिए:
- हियरार्की: किसी भी इंजीनियरिंग क्षेत्र में, आपको एक निम्न स्तर से शुरुआत करनी पड़ती है और फिर आपको अपने अनुभव और क्षमता के अनुसार ऊपर जाना पड़ता है। मरीन इंजीनियरिंग में भी ऐसा ही है, जहाँ पर यंग इंजीनियरिंग कैडेट के रूप में शुरुआत होती है और फिर आप चीफ इंजीनियर की पोस्ट तक पहुंच सकते हैं।
- लाइसेंस: मरीन इंजीनियर बनने के लिए लाइसेंस प्राप्त करना भी जरूरी है। यह लाइसेंस आपको आगे बढ़ने में मदद करता है और आपकी योग्यता को मान्यता प्रदान करता है।
- रोजगार के अवसर: मरीन इंजीनियरिंग में सिर्फ ट्रेडिशनल रोल्स ही नहीं हैं। जैसा कि आपने बताया, शिप बिल्डर, मेटल वर्कर, साइट मैनेजर, कार्बन फाइबर टेक्नीशियन आदि की भी जरूरत होती है।
- आधुनिक टेक्नोलॉजी और डिमांड: वर्तमान समय में तकनीकी विकास और जटिलताओं के कारण, फ्रैशर्स और क्रिएटिव इंजीनियर्स की मांग बढ़ रही है, जिससे नई तकनीकों और यंत्रों का विकास किया जा सकता है।
इसलिए, मरीन इंजीनियरिंग एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें अनेक अवसर हैं और जिसमें छात्र अपनी योग्यता और रुचि के अनुसार विभिन्न पदों पर काम कर सकते हैं।
मरीन इंजीनियरिंग में कितना सैलेरी मिलता है ?
मरीन इंजीनियरिंग में काम करने वाले व्यक्तियों के लिए विभिन्न चुनौतियां होती हैं, जिसकी वजह से इस फील्ड में काम करने वालों को आकर्षक सैलरी पैकेज ऑफर किया जाता है।
- सैलरी: एक प्रोफेशनल मरीन इंजीनियर की सैलरी कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे की अनुभव, शिक्षा, कौशल सेट और काम का प्रकार। आपके द्वारा बताई गई सैलरी रेंज (65,000 से 1,00,000 रुपए प्रति महीना) एक औसत और शुरुआती स्तर की सैलरी हो सकती है, लेकिन जैसे-जैसे अनुभव बढ़ता है, यह राशि भी बढ़ सकती है।
- पोस्टिंग: मरीन इंजीनियरिंग के क्षेत्र में पोस्टिंग विभिन्न स्थलों पर हो सकती है – यह समुद्र पर हो सकता है या किसी बंदरगाह पर भी। इसलिए, इस फील्ड में काम करने वाले को अपनी फिजिकली और मेंटली स्थिति को मजबूत रखना होता है ताकि वह विभिन्न परिस्थितियों में सहजता से काम कर सके।
- चुनौतियां: मरीन इंजीनियर को अकेला या टीम में काम करने की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जैसे की अच्छी तकनीकी समस्या समाधान क्षमता, समुद्र में लंबे समय तक रहने की क्षमता, और अन्य समस्याओं का सामना करने की क्षमता।
अगर किसी व्यक्ति में इन चुनौतियों का सामना करने की क्षमता है और वह इस क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहता है, तो मरीन इंजीनियरिंग उसके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है।
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