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Vijay Solutions > Property > Chakbandi Bihar : फिर से होगा शुरू चकबंदी बिहार 2022

Chakbandi Bihar : फिर से होगा शुरू चकबंदी बिहार 2022

Published 21/02/2022

chakbandi bihar : बिहार में चकबंदी फिर से शुरू किया जायेगा जिसके लिए नया सॉफ्टवेयर ‘चक बिहार’ को आईआईटी रूड़की द्वारा बनाने का काम जल्द शुरू किया जायेगा। जिसके लिए बिहार सरकार के वित्त विभाग द्वारा आईआईटी रूड़की से नया करार के प्रस्ताव पर मुहर भी लगा दी। इस नए प्रस्ताव को वित्त विभाग द्वारा विधि शाखा में भेज दिया गया है विधि शाखा द्वारा सभी तकनीकी पहलु पर विचार करने के बाद बिहार कैबिनेट पास करने के लिए में भेज दिया जायेगा।

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UPdate: भूमि सर्वे का काम पूरा होते ही शुरू होगी चकबंदी की तैयारी
‘चक बिहार’ सॉफ्टवेयर से होगा chakbandi bihar का काम
चार वर्षों में पूरा होगा chakbandi bihar का काम
सभी चकबंदी के दस्तावेजों का होगा डिजिटाइजेशन
chakbandi bihar- चकबंदी 1992 में बंद हो गई
नई चकबंदी शुरू होने तक खत्म नहीं होगा पुराना काम
कोर्ट के आदेश पर 2006 में शुरू हुई थी चकबंदी
‘चक बिहार’ सॉफ्टवेयर बना
चकबंदी में पंचायतों की सहमति जरूरी
नक्शा एवं खतियान के अनुसार कटेगा chakbandi bihar
chakbandi bihar से भू-अर्जन में होगी सहूलियत
Update : Preparation for consolidation will start as soon as the land survey is completed

जैसे ही कैबिनेट की मुहर लगते ही चकबंदी सॉफ्टवेयर ‘चक बिहार’ को बनाने का काम आईआईटी रुड़की द्वारा शुरू कर दिया जायेगा। इस चकबंदी सॉफ्टवेयर को बनाने के लिए आईआईटी रुड़की के 200 तकनीकी कर्मियों कि टीम बिहार आकर सॉफ्टवेयर बनाने के काम को पूरा करेगी। इस सॉफ्टवेयर का निर्माण गुलजारबाग सर्वेक्षण निदेशालय परिसर में लैब बना कर किया जायेगा।

UPdate: भूमि सर्वे का काम पूरा होते ही शुरू होगी चकबंदी की तैयारी

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने सर्वे का काम पूरा होते ही चकबंदी कराने की तैयारी कर ली है. वरिष्ठ पदाधिकारियों की टीम चकबंदी का प्रस्ताव तैयार करने में जुटी है. कार्य में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से पर विशेष जोर है. इस तकनीकी मदद के लिए आइआइटी रुड़की को पत्र भेजा गया है. आइआइटी को सॉफ्टवेयर चक बिहार तैयार करने की जिम्मेदारी दी गयी है. इसके लिए अनुबंध किया जाना है, योजना के तहत एक माह में एक हजार गांव की चकबंदी की जायेगी. कैमूर के कनैरा कम्हारी गांव में चकबंदी का पायलट प्रोजेक्ट सफल रहा है. वहीं,राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह ने सर्वे के काम में हो रही देरी के लिए चिंता जतायी है.

पहले चरण के बचे हुए कार्य को अतिरिक्त प्रयास कर जल्दी पूरा करने के निर्देश के साथ ही विलंब के कारणों की रिपोर्ट संबंधित जिलों के पदाधिकारियों से मांगी है.निदेशक भू अभिलेख एवं परिमाप जय सिंह के चनाव ड्यटी से लौटते ही सभी जिलों के साथ समीक्षा बैठक की जायेगी. दूसरे चरण में 18 जिलों के 5100 गांवों का सर्वे सरकार को चिंता है कि कोरोना के कारण सर्वे का कार्य पहले ही लंबा खींच गया है. पहले चरण का बचा हुआ काम भी जल्दी से खत्म नहीं किया गया, तो दूसरे चरण का काम बहुत पिछड़ जायेगा.एक साल में आधे बिहार का भूमि सर्वे के जरिये जमीन की पहचान-हदबंदी का लक्ष्य पूरा करने के लिए राज्य में पहले चरण में 20 जिलों में चल रहे सर्वे को पूरा होने से पहले ही दूसरे चरण का भूमि सर्वे शुरू करा दिया गया है.दूसरे चरण में 18 जिलों के 100 अंचलों के 5100 गांवों का सर्वे किया जाना है. इसके लिए 196 शिविरों की स्थापना की जानी है.बीस जिलों के 208 शिविरों से जुड़े पांच हजार से अधिक गांवों में अधिकतर जगह किस्तवारका काम अभी चल रहा है.

‘चक बिहार’ सॉफ्टवेयर से होगा chakbandi bihar का काम

बिहार में इससे पहले भी चंकबंदी हुई है। लेकिन पहली बार आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है जिससे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद ली जाएगी। इस ‘चक बिहार’ सॉफ्टवेयर को बनने के बाद चकबंदी करने वाले राजस्वकर्मियों कर्मी को आईआईटी रूड़की की टीम प्रशिक्षित भी करेगी, ताकि वो सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल सभी से कर सके।

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‘चक बिहार’ सॉफ्टवेयर के बन जाने के बाद चकबंदी में मानवीय हस्तक्षेप काफी कम होगा जिससे गलती की गुंजाइस न के बराबर होगा मतलब राजस्वकर्मियों की दखल ना के बराबर होग। पहले अमीन और दूसरे कर्मियों के द्वारा चकबंदी का काम किया जाता था जिसके कारण मानवीय हस्तक्षेप 100 फीसदी होता था जिसको इस ‘चक बिहार’ सॉफ्टवेयर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से मात्र 20 फीसदी कर दिया गया है।

चार वर्षों में पूरा होगा chakbandi bihar का काम

प्रत्येक महीने औसतन एक हजार गांवों का चकबंदी का लक्ष्य रखा गया है और पुरे बिहार के सभी मौजों की चकबंदी में करने में लगभग चार साल का समय लगेगा। चकबंदी के लिए वित्त विभाग द्वारा जिस प्रस्ताव पर सहमति बनी है उसके अनुसार से एक साल में लगभग 12 हजार गांवों की चकबंदी का काम पूरा किया जायेगा। और पुरे बिहार में chakbandi होते होते करीब करीब चार साल का समय लग जायेगा।

पायलट प्रोजेक्ट के रूप में chakbandi bihar कैमूर जिले के भगवानपुर अंचल के कनैरा कम्हारी गांव का चयन किया गया था जिसके लिए कनैरा कम्हारी गांव के सर्वे, चकबंदी खतियान नक्शे को आइआइटी रूड़की भेजा गया जहाँ इस दस्तावेजों का डिजिटाइलेशन कर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डीप लर्निग प्रकिर्या के माद्यम से चकबंदी काटे गये। जिसके बाद राजस्व विभाग में आईआईटी रुड़की द्वारा प्रेजेंटेशन दिया गया जिसके बाद सब कुछ ठीक होने पर राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग बिहार सरकार ने इस तकनीक को मंजूरी देते हुए आइआइटी से अनुबंध करने का निर्णय लिया.

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सभी चकबंदी के दस्तावेजों का होगा डिजिटाइजेशन

‘चक बिहार’ सॉफ्टवेयर के माद्यम से बनने वाले चकबंदी दस्तावेजों का डिजिटाइजेशन किया जायेगा। इसके अलावा पुरानी चकबंदी के दस्तावेजों का भी डिजिटाइजेशन किया जायेगा जिसके लिए एजेंसी का चयन भी कर लिया गया है चकबंदी के बाद जहां चक वाले प्लॉट पर किसानों का दखल हो गया या फिर जहां दखल नहीं हुआ वहां के भी दस्तावेज कंप्यूटर में लोड किये जाएंगे।

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग का मानना है कि पहले चकबंदी में जिन मौजों का काम पूरा हो गया, उनका कागज तो जरूरी है ही, जहां नहीं पूरा हुआ या पूरा होने के बाददखल नहीं हुआ उन कागजात के भी लीगल वैल्यू हैं। उन्हीं कागजात के आधार पर कई मामले कोर्ट में भी गये होंगे। कोर्ट में फैसले का आधार भी वही कागज बने होंगे। ऐसे में उन कागजों की लीगल वैल्यू नई चकबंदी होने के बाद भी कम नहीं होगी। ऐसे में सरकार उन चकों (जमीन का बड़ा भूभाग) के दखल को लेकर नये सिरे से मंथन कर रही है। वर्तमान में कागज सड़ने लगे हैं, लिहाजा कंप्यूटर में उनको सुरक्षित रखना जरूरी है।

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chakbandi bihar- चकबंदी 1992 में बंद हो गई

राज्य में 70 के दशक में शुरू हुई पहली चकबंदी 1992 में बंद हो गई। लेकिन कोर्ट के आदेश पर फिर शुरू हुई जो अभी भी कछुआ चाल से जारी है। पहली चकबंदी के दौरान 180 अंचलों में 5300 मौजों को संपष्ट किया गया था। वहां चक पर किसानों का दखल भी हो गया था। लेकिन, जहां दखल नहीं हुआ उसको संपुष्ट नहीं माना गया। लिहाजा वहां नये सिरे से चकबंदी होगी। हालांकि संपुष्ट मौजों में भी चक टूट गये हैं। लिहाजा नये सर्वे के बाद वहां भी नये सिरे से चकबंदी शुरू होगी। कोर्ट के आदेश पर अभी रोहतास, भोजपुर, बक्सर और कैमूर के पुराने 38 प्रखंड के साथ गोपालगंज के कटैया प्रखंड में चकबंदी का काम चल रहा है।

नई चकबंदी शुरू होने तक खत्म नहीं होगा पुराना काम

बिहार में नई चकबंदी के अलावा किसानों के सामने कोई विकल्प नहीं है। कोर्ट के आदेश पर जिन पांच जिलों में चकबंदी का काम शुरू हुआ, वह 15 साल बाद भी पूरा नहीं हुआ। मानव बल की कमी इसका बड़ा कारण है। हालांकि सरकार ने पुरानी चकबंदी के कागज का भी कंप्यूटरीकरण करने का फैसला किया है, लेकिन स्थिति यह है कि पुरानी चकबंदी कई मौजों में सिर्फ कागज पर ही है।

जमीन पर दखल बहुत कम हुआ है। राज्य सरकार ने नई चकबंदी को लेकर कई अभिनव प्रयोग किये हैं। सर्वे का काम खत्म होने के बाद नई चकबंदी शुरू होगी। इसके लिए सरकार ने आईआईटी रुड़की से करार किया है। चकबंदी के लिए एजेंसी का भी चयन कर लिया गया है।

आईआईटी रुड़की के काम को देखने के लिए राजस्व विभाग ने कैमूर जिले के भगवानपुर अंचल के कनैरा कम्हारी गांव का पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चयन किया है। निदेशालय ने सर्वे और चकबंदी के खतियान और नक्शे को रुड़की भेजा जहां लैब में दोनों को पहले डिजिटाइज किया गया। फिर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डीप लर्निंग की मदद से उनका चक काटा गया। बाद में विभाग के अपर मुख्य सचिव विवेक सिंह के समक्ष उनका प्रजेंटेशन भी दिया गया। लेकिन पुरानी चकबंदी की गति बहुत मंद है।

कोर्ट के आदेश पर 2006 में शुरू हुई थी चकबंदी

कोर्ट के आदेश पर 2006 में यह chakbandi bihar में शुरू हुई थी। रोहतास, भोजपुर, बक्सर और कैमूर के पुराने 38 प्रखंड के साथ गोपालगंज के कटेया प्रखंड में चकबंदी का काम चल रहा है। यह काम कोर्ट के आदेश पर चल रहा है। हर महीने कोर्ट को प्रगति से अवगत कराना होता है। बावजूद प्रगति इतनी धीमी है कि 15 वर्षों में काम पूरा नहीं हुआ। हाल में कैमूर जिले के जिन 26 मौजों को संपुष्ट घोषित किया गया वह भी लगभग 25 साल पहले के काम के आधार पर हुआ। ऐसे में यह लगता है कि नई चकबंदी शुरू होने के पहले पुराने को खत्म करना कठिन है। लिहजा उन मौजों में भी एक बार फिर से काम करना होगा।

  • 39 प्रखंडों में चल रही है चकबंदी
  • पांच जिलों के हैं ये प्रखंड
  • 15 साल से हो रहा है काम
  • 100 प्रतिशत काम हो रहा मैनुअली

‘चक बिहार’ सॉफ्टवेयर बना

नई चकबंदी के लिए ‘चक बिहार’ सॉफ्टवेयर को विकसित किया गया है। इस सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल से चकबंदी के काम में मानवीय हस्तक्षेप काफी कम हो जाएगा। पहले जो काम 100 फीसदी अमीन और दूसरे कर्मियों द्वारा किया जाता था, उस काम में मानवीय हस्तक्षेप घटकर अब महज 20 फीसदी रह जाएगा। इससे काम तेज होगा।

चकबंदी में पंचायतों की सहमति जरूरी

नये पंचायत प्रतिनिधियों की चकबंदी में बड़ी भूमिका होगी। अधिकारियों को अपने क्षेत्र की चकबंदी में इनकी सलाह माननी होगी। चकबंदी के लिए बनने वाली सलाहकार समितियों के ये पंचायत प्रतिनिधि पदेन सदस्य होंगे। कमेटी का गठन चकबंदी अधिकारी नहीं करेंगे। राजस्व व भूमि सुधार विभाग चकबंदी से जुड़े कानून में कई संशोधन करने जा रहा है। प्रस्ताव तैयार है, केवल सरकार की मंजूरी का इंतजार है। प्रस्ताव पर विधि विभाग की सहमति पहले ही मिल चुकी है।

Chakbandi Bihar

राजस्व व भूमि सुधार विभाग ने संशोधन के लिए जो प्रस्ताव तैयार किया है, उसके अनुसार गांव में सलाहकार समितियों का स्वरूप बदल जाएगा। पहले गांव की सलाहकार समितियों का गठन चकबन्दी पदाधिकारी करते थे। उनकी मर्जी से गांव के ग्रामीण समिति का सदस्य होते थे, लेकिन अब प्रस्तावित संशोधन के बाद पंचायतों के नये चुने हुए जन प्रतिनिधि अर्थात मुखिया, वार्ड सदस्य, सरपंच, पंच, पंचायत समिति सदस्य ही अपने गांवों की चकबन्दी की सलाहकार समितियों के पदेन सदस्य होंगे। सलाहकार समितियां चकबन्दी में सरकार को जरूरी सलाह देने का काम करती हैं।

नक्शा एवं खतियान के अनुसार कटेगा chakbandi bihar

राज्य में भूमि सर्वेक्षण पूरा होने के तत्काल बाद चकबंदी भी शुरू होगी। सर्वेक्षण के बाद मानचित्र एवं खतियान के आधार पर ही चक काटने का काम होगा। चकबन्दी के बाद संबंधित मौजों में प्लॉटों की संख्या काफी कम हो जाएगी। खतियान भी नया बन जाएगा। चकबन्दी का यह काम एक गांव को कई सेक्टर में बांट कर किया जाता है। इन सेक्टर का निर्धारण जमीन का दाम और वहाँ की भौगोलिक स्थिति के अनुसार तय किया जाता है

chakbandi bihar से भू-अर्जन में होगी सहूलियत

किसी भी जमीन का चकबंदी हो जाने के बाद बिज़नेस करने वाले उद्योगपति को उस जमीन की जानकारी और उसके मालिक का नाम आसानी से मिल जायेगा। यही नहीं चकबंदी हो जाने के बाद दाखिल खारिज के साथ साथ राजस्व का सारा काम इसी के जरिए संपादित होंगे और भू-अर्जन में भी ऑकड़े जुटाने में सरकार को सहूलियत होगी।

हाल के दिनों में चकबंदी निदेशालय ने चकबंदी एक्ट में कई संशोधन किए हैं। इसके प्रस्ताव पर विधि विभाग की सहमति हो चुकी है। सभी संशोधन लागू होने के बाद अनुमंडल पदाधिकारी एवं भूमि सुधार उप समाहर्ता को चकबन्दी के बाद नये बने चकों पर दखल-कब्जा दिलाने के काम में शामिल किया जाएगा। पहले यह सब काम चकबंदी अधिकारियों के जिम्मे होता था। इस काम में प्रशानिक अधिकारियों या जनप्रतिनिधियों का कोई हस्ताक्षेप नहीं होता था।

https://www.youtube.com/watch?v=rSZKrNTnhkg

Update : Preparation for consolidation will start as soon as the land survey is completed

The Revenue and Land Reforms Department has made preparations for consolidation as soon as the survey work is completed. The team of senior officials is busy preparing the proposal for consolidation. There is a special emphasis on Artificial Intelligence in the work. A letter has been sent to IIT Roorkee for this technical help. IITs have been given the responsibility of preparing the software Chak Bihar. A contract is to be made for this, under the scheme, one thousand villages will be consolidated in a month.

The pilot project of consolidation in Kanaira Kamhari village of Kaimur has been successful. At the same time, Additional Chief Secretary, Revenue and Land Reforms Department, Vivek Kumar Singh has expressed concern about the delay in the survey work. Along with the instructions to complete the remaining work of the first phase at the earliest by making extra efforts, the report of the reasons for the delay has been sought from the officials of the concerned districts. Will be done. In the second phase, survey of 5100 villages in 18 districts, the government is concerned that the survey work has already been dragged on due to Corona. If the remaining work of the first phase is not completed quickly, then the work of the second phase will be very backward. The land survey of the second phase has been started even before the ongoing survey in the districts is completed. In the second phase, 5100 villages of 100 zones of 18 districts are to be surveyed. For this, 196 camps are to be established. Installment work is going on in more than five thousand villages connected with 208 camps in twenty districts.

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