राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने डीसीएलआर ( डिप्टी कलेक्टर लेंड रिफॉर्म ऑफिसर ) की कोर्ट को भी ऑनलाइन कर दिया। अब कोई भी व्यक्ति डीसीएलआर की कोर्ट जाये बिना ही अपने भूमि विवाद केस की जानकारी ले सकेगा। सुनवाई की तारीख में गवाहों की मौजूदगी के साथ किस तारीख पर भूमि सुधार उपसमाहर्ता ने क्या आदेश दिया,सब ऑलाइन देखा जा सकेगा।
सनवाई होने के बाद पारित अंतिम आदेश की कॉपी वेब पर डाल दी जाएगी। यह जानकारी रविवार को विभागीय मंत्री रामसूरत कुमार ने दी। वह ‘दाखिल खारिज अपीलवाद मैनेजमेंट सिस्टम’ को जनता को समर्पित करने के बाद अधिकारियों को संबोधित कर रहे थे। कहा कि म्यूटेशन को पूरी तरह ऑनलाइन लाइन कर दिया गया है। इस प्रक्रिया से जुड़े सभी कर्मियों की जिम्मेदारी और समय तक तय कर दी गई है। हर महीने म्यूटेशन में लगे कर्मियों की रैंकिंग भी की जा रही है। इसी तरह डीसीएलआर ऑफिस और उनकी अदालत को भी जिम्मेदारबनाने की जरूरत थी। अब भूमि सुधार उपसमाहर्ता और भी सजग होकर काम करेंगे, निर्णयों में पारदर्शिता अधिक बरतेंगे ।
विभाग के अपर मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह ने कहा कि राजस्व विभाग के कार्यो को धीरे-धीरे ऑनलाइन किया जा रहा है। जल्द अपील की सारी व्यवस्था ऑनलाइन कर दी जाएगी। नई व्यवस्था में म्यूटेशन की अपील के लिए आवेदक को सिर्फ डीसीएलआर कार्यालय जाकर आवेदन देना होगा। वहां मौजूद कंप्यूटर आपरेटर आवेदनकी ऑनलाइन इंट्री कर देगा। इस पर ऑटो जेनरेटेड केस नंबर दर्ज होगा। इस नंबर के आधार पर आवेदक आवेदन के बारे में घर बैठेजानकारी हासिल करेगा।
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“Dclr full form in Hindi – डिप्टी कलेक्टर लेंड रिफॉर्म ऑफिस “
इस तरह काम करेगा यह भूमि विवाद डीसीएलआर कोर्ट सिस्टम
दाखिल-खारिज अपील बाद मैनेजमेंट सिस्टम का लाभ उठाने के लिए आवेदक को म्यूटेशन मामले में अपना केस नंबर और अंचल अधिकारी के आदेश की छाया-प्रति के साथ भूमिसुधार उपसमाहर्ता कार्यालय जाकर आवेदन देना होगा. वहां मौजूद कंप्यूटर ऑपरेटर आवेदन की ऑनलाइन इंटी करेगा. आवेदक को उसकी पावती देगा. इसपर ऑटो जेनरेटेड केसनंबरदर्ज होगा.इस नंबर के आधार पर ही आवेदक आवेदन के बारे में घर बैठे जानकारी हासिल करेगा.
जल्द ही अंचल कार्यालय और डीसीएलआर कार्यालयको ऑनलाइनजोड़ दिया जायेगा. इससे दोनों ऑफिस को एक -दूसरे के फैसलों के बारे में अलग से जानकारी देने की जरूरत नहीं रहेगी.- संजय कुमार, तकनीकी निदेशक एनआइसी, बिहार
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देना होगा तय समय में भूमि विवाद फैसला
विवेकसिंह राजस्व एवं भूमिसुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह ने बताया कि विभाग के कार्यों को धीरे-धीरे ऑनलाइन किया जा रहा है, जल्द ही अंचलाधिकारी द्वाराम्यूटेशन के मामलों में लिये गये फैसलों के खिलाफ भूमि सुधार उपसमाहर्ता के कार्यालय में ऑनलाइन अपील की व्यवस्थाकर उसकी समय-सीमा भी निर्धारित करदी जायेगी. जिस तरह से अंचलाधिकारियों द्वारा म्यूटेशन के लिए समय-सीमा तय है उसी तरह डीसीएलआरकोम्यूटेशन के अपील मामलों का निष्पादन तय समय में ऑनलाइन ही करना होगा.
बिहार में भूमि विवाद के केसों का स्पीडी ट्रायल होगा
बिहार सरकार कोर्ट में लंबित संवेदनशील भूमि विवाद के मामलों का स्पीडी ट्रायल कराने की तैयारी कर रही है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ऐसे संवेदनशील मामलों का आंकड़ा जुटाएगा, जिनके कारण आपराधिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलता है। आंकड़ा मिलने पर विभागसंबंधित कोर्ट से उस मामले का स्पीडी ट्रायल कराने का आग्रह करेगा। इसके लिए विभाग अपने यहां प्राथमिकता सूची भी तैयार करेगा। सची बनाने में चौकीदारों के साथ स्थानीय थानों की मदद ली जाएगी।
राजस्व विभाग ने स्पीडी ट्रायल की प्रक्रिया और मुकदमों की प्राथमिकता तय करना शुरू कर दिया है। सरकार ने ऐसे विवादों पर नजर रखने के लिए राजस्व विभाग में पहली बार एक आईपीएस अधिकारी का पद सृजित कर दिया है। संयुक्त सचिव स्तर के उस पद पर चन्द्रशेखर विद्यार्थी को तैनात भी कर दिया है। इसी के साथ हर सप्ताह थानेदार राजस्व अधिकारियों के साथ भूमि विवादों के मामलों की सुनवाई भी करते हैं। सरकार का प्रयास है कि छोटे विवाद स्थानीय स्तर पर ही निपटा लिये जाएं। बावजूद अगर मामला कोर्ट में जाता है तो स्पीडी ट्रायल से उसका जल्द निपटारा किया जाए।
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जमीन से जुड़े मामलों के कोर्ट में जाने पर उसके निपटारे में वर्षों लग जाते हैं। नाजायज लाभ लेने के लिए कई बार जमीन को विवादित बनाकर सही मालिक को परेशान किया जाता है। ऐसी घटनाएं आपराधिक वारदात को जन्म देती हैं। उन्हें जल्द निपटाने के लिए फौजदारी मुकदमों की तरह इनका भी स्पीडी ट्रायल कराने पर गंभीर मंथन चल रहा है।
भूमि विवादों को चार भाग में बांटा गया
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आदेश पर तत्कालीन मुख्य सचिव दीपक कुमार ने भूमि विवाद से संबंधित मामलों का वर्गीकरण करने का आदेश दिया था। इसके लिए चार श्रेणियां बनाई गईं। अंचल, अनुमंडल और जिलास्तर पर आने वाले मामलों की छंटनी करने की तैयारी उसी आदेश पर चल रही है। व्यक्तिगत भूमि विवाद, कोर्ट केस और विधि व्यवस्था को प्रभावित करने वाले विवाद अलग श्रेणी में रखे जायेंगे। विवाद खत्म करने के लिये श्रेणीवार ही विधि विकसित की जानी है। इसके अलावा हर अंचल में चार सुरक्षा बल मुहैया कराए गए। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में डीआईजी स्तर के अधिकारी की प्रतिनियुक्ति कर दी गई है।
सभी राजस्व न्यायालयों को ऑनलाइन किया जा रहा राज्य सरकार ने भूमि विवाद कम करने के लिए गंभीर फैसले लिये हैं। अपील के मामलों में डीसीएलआर के हाथ बंधने के बाद सरकार एडीएम स्तर के अधिकारियों पर भी शिकंजा कसने की तैयारी कर रही है। सभी राजस्व न्यायालयों को ऑनलाइन किया जा रहा है। म्यूटेशन संबंधी सीओ के फैसले पर स्टे लगाकर सुनवाई लंबे समय तक टालना कठिन हो गया है।
डीसीएलआर कोर्ट को फैसला 30 दिन के भीतर देना होगा
डीसीएलआर किसी भी हाल में दो तारीख से अधिक समय तक के लिए स्टे नहीं लगा सकेंगे। साथ में फैसला भी उन्हें 30 दिन के भीतर देना होगा। इस पहल के बाद अगली कड़ी में सरकार की नजर राज्य के उन संवेदनशील मामलों पर है जिसके कारण अपराध को बढ़ावा मिल रहा है।
जमीन से जुड़े हर विवाद को देगी यूनिक कोड होगी ट्रैकिंग व मॉनीटरिंग
राज्य में भूमि विवाद के मामलों को समाप्त करने के लिए सरकार की नई पहल की है राज्य में जमीन से जुड़े हर मुकदमे का अबएक अलग यूनिक कोड होगा। यह कोड विवाद की गंभीरता को इंगित करेगा। इसी के साथ सभी विवादों को राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने 11 श्रेणियों में बांटने का फैसला किया है। किसी भी स्तर के कोर्ट के फैसले को तुरंत लागू किया जाएगा। इसकी मॉनिटरिंग के लिये गृह विभाग एक सॉफ्टवेयर विकसित करेगा।
बिहार में जमीन से जुड़े विवादों के निस्तारण और उन्हें हमेशा के लिये खत्म करने के लिये सरकार प्रणाली विकसित कर रही है। नई व्यवस्था होने पर स्थानीय अधिकारी उच्च अधिकारियों को गुमराह नहीं कर सकेंगे। भूमि विवाद से जुड़े हर केस के यूनिक कोड रखने का फैसला राजस्व एवं भूमिसुधार विभाग, गृह विभाग तथा बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन ने संयुक्त बैठक कर लिया है।
राज्य में जमीन से जुड़े विवादों को हमेशा के लिए खत्म करने के लिए सरकार ने हाइटेक प्रणाली विकसित कर ली है. राज्य में लाखों लोगों के बीच भूमि विवाद हैं. जमीन से जुड़े छोटे- बड़े प्रत्येक विवाद को एक यूनिक कोड देने जा रही है. इस कोड के जरिये अंचल-थाना में बैठे अफसर से लेकर मुख्य सचिव तक यह जान जायेंगे कि विवाद किस गांव के किन लोगों के बीच है. अब तक क्या घटित हो चुका है. प्रशासन ने अब तक क्या – क्या कार्रवाई की है. इससे आगे की कार्रवाई करने में सहूलियत होगी. स्थानीय अधिकारी आला अधिकारियों को गुमराह नहीं कर सकेंगे.
भूमि विवाद की 11 श्रेणियां
भूमि विवाद मामलों को 11 श्रेणियों में बांट कर इनका निष्पादन करने के लिए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग , गृह विभाग तथा बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन ने संयुक्त बैठक कर नयी व्यवस्था लागू करने का निर्णय लिया है. भूमि विवादों के कारगर निबटारे के लिए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह की अध्यक्षता में गृह विभाग, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग तथा बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन की संयुक्त बैठक की गयी थी. इसमें बिहार में भूमि विवादों को लेकर थाना से लेकर मुख्यालय स्तर पर बैठक कर कार्रवाई करने के निर्देश दिये गये हैं.
1. | सरकारी भूमि पर कब्जा का विवाद |
2. | सरकारी भूमि का अतिक्रमण |
3. | बन्दोबस्त भूमि से बेदखली का मामला |
4. | सुप्रीम कोर्ट-हाईकोर्ट में विचाराधीन मामले वाली भूमि को लेकर विवाद एवं कोर्ट के आदेश अनुपालन के समय उत्पन्न विवाद |
5. | राजस्व कोर्ट में विचाराधीन मामलों वाली भूमि को लेकर विवाद एवं कोर्ट के आदेश अनुपालन के समय विवाद |
6. | सिविल कोर्ट में लंबित मामलों में भूमि को लेकर विवाद एवं कोर्ट के आदेश अनुपालन के समय उत्पन्न विवाद |
7. | भूमि की मापी-सीमांकन के समय उत्पन्न भू-विवाद |
8. | लोक शिकायत निवारण प्राधिकार के आदेश के अनुपालन में उत्पन्न विवाद |
9. | निजी रास्ता का विवाद |
10. | पारिवारिक भमि बंटवारा से विवाद |
11. | अन्य विवाद |
अल्पकालीन व दीर्घकालीन रणनीति पर काम होगा
भूमि विवादों के निस्तारण के लिये सरकार अल्पकालिक एवं दीर्घकालिक रणनीति के तहत काम करेगी। सामान्य मामलों का तत्काल समाधान करना होगा। जरूरत पड़ने पर अधिकारी एफआईआर भी दर्ज कर सकेंगे। डीसीएलआर कोर्ट के फैसले का तुरंत पालन कराना होगा। पेचीदा मामलों में दीर्घकालिक रणनीति अपनायी जायेगी। ऐसे मामले में संबंधित विवाद के स्थलों-क्षेत्रों पर निगरानी रखी जायेगी।
कोड इंगित करेगा मामले की संवेदनशीलता
भूमि विवादों को लेकर थाना से लेकर मुख्यालय स्तर पर बैठक कर कार्यवाही करने के निर्देश दिए गए हैं। विवादों को जो कोड दिये जाएंगे वह उनके स्थल, संवेदनशीलता, पूर्व का इतिहास आदि ब्योरा पर आधारित होगा। कोई अधिकारी कोड देखकर पता कर लेगा कि यह मामला अपराध बढ़ाने को लेकर कितना संवेदनशील है। साथ ही इसका प्रभाव क्षेत्र क्या है।
राज्य के सभी भूमि विवाद की सूची तैयार कर उनको विशेष कूट संख्या (यूनिक कोड ) दिया जायेगा. इससे उनके स्थल, प्रकृति संवेदनशीलता, पूर्व का इतिहास आदि ब्योरा होगा. इनकी मॉनीटरिंग के लिए गृह विभाग एक सॉफ्टवेयर विकसित करेगा. मॉनीटरिंग के लिए बनेगा सॉफ्टवेयर सरकार ने भूमि विवादों को 11 तरह की श्रेणी बनायी है.
सरकारी भूमि पर कब्जे का विवाद, सरकारी भूमि का अतिक्रमण बंदोबस्त भूमि से बेदखली का मामला, उच्चतम-उच्च न्यायालय में विचाराधीन मामले वाली भूमि को लेकर विवाद एवं कोर्ट के आदेश अनुपालन के समय उत्पन्न विवाद, राजस्व न्यायालय में विचाराधीन मामलों वाली भूमि को लेकर विवाद एवं रेवेन्यूकोर्ट के आदेश अनुपालन के समय उत्पन्न विवाद, सिविल न्यायालय में लंबित मामलों में सन्निहित भूमि को लेकर विवाद एवं न्यायालय के आदेशअनुपालन के समय उत्पन्न विवाद, भूमि की मापी -सीमांकन के समय उत्पन्न भु-विवाद (रैयती एवं सरकारी दोनों भमि के मामले में). लोक शिकायत निवारण प्राधिकार के द्वारा पारित आदेश का अनुपालन में उत्पन्न विवाद, निजी रास्ता का विवाद पारिवारिक भूमि बंटवारा से उत्पन्न विवाद. इसके बाद, बचे हुए भूमि विवादों को 11 वीं(अन्य) श्रेणी में रखा गया है.
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