संपत्ति बंटवारा यूपी (उत्तर प्रदेश ) : संपत्ति बंटवारे में सिर्फ पांच हजार देना होगा स्टांप शुल्क. राज्य विधि आयोग ने सरकार से सिफारिश की है कि परिवार के सदस्यों के बीच अचल संपत्ति के बंटवारे के लिए स्टांप शुल्क व रजिस्ट्रेशन फीस को कम करते हुए क्रमश: 5000 रुपये व 2000 रुपये किया जाए। इससे प्रदेश में संपत्ति बंटवारे, हस्तांतरण, वसीयत आदि से जुड़े मुकदमों में कमी आएगी। साथ ही सरकार को स्टांप से मिलने वाले शुल्क में कोई कमी नहीं आएगी।
आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) आदित्य नाथ मित्तल ने बताया कि उन्होंने आयोग की ओर से 20वां प्रत्यावेदन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंपा है।
संपत्ति बंटवारा यूपी के वर्तमान नियम
यूपी में अभी संपत्ति बंटवारा के लिए संपत्ति के मूल्य पर 7 और एक फीसदी रजिस्ट्रेशन शुल्क पड़ता है। मान लीजिए कि किसी संपत्ति की कीमत सर्किल रेट के मुताबिक एक करोड़ रुपये है और परिवार का मुखिया उसे चार हिस्सों में बांटता है तो एक चौथाई हिस्से पर स्टांप शुल्क (बड़ा हिस्सा) छोड़ दिया जाएगा और अन्य तीन हिस्सों (यानी 75 लाख) पर 7 शहरी इलाके में यानी करीब पांच लाख के आसपास स्टांप शुल्क पड़ता है।
एक फीसदी रजिस्ट्रेशन फीस देनी पड़ती है। महिलाओं के मामले में शहरों में 10 लाख तक की संपत्ति पर एक फीसदी की छूट के साथ 6 स्टांप शुल्क लगता है, जो 10 हजार से अधिक नहीं हो सकता। ग्रामीण इलाके में स्टांप शुल्क दो फीसदी कम करके लिया जाता है।
मुकदमों में कमी आएगी,राजस्व बढ़ेगा
राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) आदित्य नाथ मित्तल ने कहा कि परिवार के मुखिया द्वारा जीवनकाल में अपनी विधवा बेटी, विधवा बहन, विधवा बहू, पौत्री एवं आर्थिक या शारीरिक तौर पर कमजोर सदस्य को पारिवारिक संपत्ति दान, विभाजित या पारिवारिक लोगों के बीच बांटी जाती है तो संपत्ति के मूल्य के अनुसार स्टांप शुल्क देना पड़ता है।
धन के अभाव में ऐसा न कर पाने की स्थिति में तमाम वसीयत, बंटवारे आदि से जुड़े विवाद परिवारों के बीच हो जाते हैं और केस अदालतों में बरसों लंबित रहते हैं। स्टांप शुल्क में कमी से मुकदमों की संख्या में कमी आएगी।
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रजिस्ट्रेशन शुल्क कम करने की संस्तुति:
राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री को सौंपी रिपोर्ट में सिफारिश की है कि ऐसे मामलों में जहां परिवार का मुखिया अचल संपत्ति का बंटवारा, हस्तांतरण आदि परिवार के सदस्यों के बीच करना चाहता है तो उसे अधिकतम स्टांप शुल्क 5000 रुपये कर दिया जाए। साथ ही रजिस्ट्रेशन शुल्क को भी अधिकतम 2000 रुपये कर दिया जाए।
न्यायमूर्ति आदित्य नाथ मित्तल ने कहा कि ऐसा करने से संपत्तियां बरसों तक फंसी नहीं रहेंगी। उनका मालिक बंटवारे आदि के साथ इसे बेच सकेगा तो इस पर स्टांप शुल्क के रूप में राजस्व सरकार को मिलेगा।
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