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Vijay Solutions > Sarkari Yojna > मुख्यमंत्री मत्स्य विकास परियोजना 2023- मत्स्य विपणन एवं मात्स्यिकी विकास की योजना बिहार

मुख्यमंत्री मत्स्य विकास परियोजना 2023- मत्स्य विपणन एवं मात्स्यिकी विकास की योजना बिहार

Published 11/02/2023

बिहार सरकार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग द्वारा अनुसूचित जाति/जनजातियों के मत्स्य पालकों को मुख्यमंत्री मत्स्य विकास परियोजना के अंतर्गत “मत्स्य विपणन” एवं “मात्स्यिकी विकास” की योजना के लिए ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किया हैं। इस योजना के तहत 90 प्रतिशत सब्सिडी के रूप में अनुदान दिया जाता है।

Contents
मुख्यमंत्री मत्स्य विकास परियोजना 2023 का उदेश्य मुख्यमंत्री मत्स्य विकास परियोजना के अवयव और इकाई लागत (रू0)मुख्यमंत्री मत्स्य विकास परियोजना का लाभमुख्यमंत्री मत्स्य विकास परियोजना 2023 चयन हेतु अर्हत्ताःमुख्यमंत्री मत्स्य विकास परियोजना 2023 ऑनलाइन आवेदनमत्स्य विपणन की योजनामत्स्य विपणन की योजना के लाभूकों का चयनमत्स्य विपणन की योजना के लिए जरुरी कागजातइस मत्स्य विपणन की योजना का अनुदान भुगतान:अन्य क्रियान्वयन निदेशमात्स्यिकी विकास की योजना:मत्स्य बीज हैचरी का निर्माणनये तालाब का निर्माण :तालाबों पर ट्यूबवेल तथा पम्प सेट अधिष्ठापन की योजना :तालाब मात्स्यिकी हेतु इनपुट :तालाब मात्स्यिकी हेतु इनपुट अनुदान की राशिमात्स्यिकी विकास की योजना के लिए जरुरी कागजातमात्स्यिकी विकास की योजना लाभुकों का चयन:मात्स्यिकी विकास योजना अनुदान भुगतान :मत्स्य हैचरी के निर्माण में अनुदान राशि की विमुक्ति तीन किश्तों मेंमुख्यमंत्री मत्स्य विकास योजना 2023 conclusion

पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग द्वारा वित्तीय वर्ष के लिए अनुसूचित जाति/जनजातियों के मत्स्य पालकों को मुख्यमंत्री मत्स्य विकास परियोजनान्तर्गत “मत्स्य विपणन” एवं “मात्स्यिकी विकास” की योजना हेतु ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किये जाते हैं। इस योजना के सभी अवयवों पर बिहार सरकार द्वारा 90% प्रतिशत अनुदान दिया जाता है ।

मुख्यमंत्री मत्स्य विकास परियोजना 2023 का उदेश्य

इस मुख्यमंत्री मत्स्य विकास परियोजना का मुख्य उद्देश्य अति पिछड़ी जातियों के लाभुकों को सब्सिडी के रूप में अनुदान से आच्छादित कर मत्स्यपालन, मत्स्य विपणन एवं मात्स्यिकी विकास हेतु प्रोत्साहन करना है ताकि उत्पादित मछलियों को मत्स्य उपभोक्ताओं तक स्वच्छ एवं ताजी रूप में पहुँचाया जा सकें।

साथ ही मात्स्यिकी विकास के तहत अति पिछड़ी जातियों को लाभुकों को मत्स्य बीज उत्पादन एवं मत्स्य पालन हेतु प्रेरित करना है। इस योजना के क्रियान्वयन से राज्य में मत्स्य उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि के साथ अति पिछड़ी जातियों के मत्स्यपालकों को रोजगार के नये अवसर प्राप्त होगे तथा उनका आर्थिक उत्थान हो सकेगा।

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मुख्यमंत्री मत्स्य विकास परियोजना के अवयव और इकाई लागत (रू0)

मत्स्य विपणन की योजना
अवयव इकाई लागत (रू0)
मोपेड-सह-आईस बॉक्स0.50 लाख
थ्री-व्हीलर2.80 लाख
फोरव्हीलर4.80 लाख।
मात्स्यिकी विकास की योजना
अवयवइकाई लागत (रू0)
मत्स्य बीज हैचरी का निर्माण22.00 लाख
नये तालाब का निर्माण7.00 लाख/हे0
ट्यूबवेल एवं पम्पसेट अधिष्ठापन0.75 लाख

मुख्यमंत्री मत्स्य विकास परियोजना का लाभ

  • राज्य में मत्स्य विपणन के माध्यम से उपभोक्ताओं को स्वच्छ, स्वस्थ, रोग रहित एवं ताजी मछलियाँ प्राप्त हो सकेगा।
  • राज्य में मात्स्यिकी विकास की योजनाएँ से मछली उत्पादन में वृद्धि होगी।
  • स्वरोजगार के नये अवसर प्राप्त होंगे।
  • अति पिछड़ी जातियों के लाभूकों की आर्थिक एवं समाजिक स्थिति में सुधार होगी।
  • अति पिछड़ी जातियों के लाभूकों को ट्यूबवेल एवं पम्पसेट उपलब्ध कराने से उनके तालाब में सालोभर पानी की उपलब्धता बनी रहेगी।

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मुख्यमंत्री मत्स्य विकास परियोजना 2023 चयन हेतु अर्हत्ताः

  • मत्स्य विपणन योजना का लाभ उन्हीं को देय होगा जो मत्स्य विपणन/परिवहन का कार्य कर रहे हैं। 
  • मत्स्य बीज हैचरी निर्माण हेतु आवेदकों के पास पूर्व से उपलब्ध मत्स्य ब्रुडर, मत्स्य बीज उत्पादन का अनुभव, अधिक रकवा एवं स्वलागत से हैचरी करने वाले एवं मत्स्य पालन/हैचरी संचालन में प्रशिक्षण प्राप्त को प्राथमिकता ।
  • उन्नत मत्स्य इनपुट हेतु लघु / सीमांत कृषक एवं जीविका समूह के आवेदक को प्राथमिकता।

मुख्यमंत्री मत्स्य विकास परियोजना 2023 ऑनलाइन आवेदन

मछली पालक या इससे जुड़े लोग मुख्यमंत्री मत्स्य विकास परियोजना 2023 के तहत मत्स्य विपणन एवं मात्स्यिकी विकास योजना हेतु ऑनलाईन आवेदन ऑफिसियल वेबसाईट www.fisheries.ahdbihar.in से कर सकते हैं। ।आवेदन फॉर्म भरने के बाद सभी वांछित कागजात अपलोड करना अनिवार्य होगा।

मुख्यमंत्री मत्स्य विकास परियोजना 2021- मत्स्य विपणन एवं मात्स्यिकी विकास की योजना बिहार

मत्स्य विपणन की योजना

  • मत्स्य विपणन की योजना का कार्यान्वयन राज्य के सभी जिलों में किया जायेगा। इस योजना के कार्यान्वयन से ताजी मछलियों को बाजार तक पहुँचाया जा सकेगा जिससे उपभोगताओं को स्वच्छ (hygenic) मछली उपलब्ध हो सकेगी।
  • इस योजना के तहत राज्य के अति पिछड़ी जातियों के लाभूको को 90 प्रतिशत अनुदान पर मोपेड-सह-आईस बॉक्स, थ्रीव्हीलर तथा फोरव्हीलर का वितरण किया जायेगा।
  • इस मत्स्य विपणन की योजना अन्तर्गत निर्धारित इकाई लागत का 10 प्रतिशत राशि लाभूक के द्वारा स्वलागत अथवा बैंक ऋण के माध्यम से वहन किया जायेगा। मोपेड-सह-आईस बॉक्स, थ्रीव्हीलर तथा फोरव्हीलर का इकाई लागत क्रमश: 0.50 लाख (पचास हजार), 2.80 लाख (दो लाख अस्सी हजार) तथा4.80 लाख (चार लाख अस्सी हजार) आकलित है। निर्धारित इकाई लागत से अधिक राशि के व्यय होने पर लाभुक के द्वारा स्वयं वहन किया जायेगा।

मत्स्य विपणन की योजना के लाभूकों का चयन

  • मत्स्य निदेशालय के द्वारा मत्स्य विपणन की योजना के लिए आवेदन लिया जायेगा ।
  • पूर्ण रूप से सभी डॉक्यूमेंट के साथ प्राप्त आवेदन-पत्रों का चयन हेतु जिला मत्स्य पदाधिकारी-सह-मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी के द्वारा संकलित किया जायेगा। अपूर्ण एवं त्रुटिपूर्ण प्राप्त आवेदन-पत्रोंको चयन हेतु विचार नहीं किया जायेगाउन्हें रिजेक्ट कर दिया जायेगा |
  • इस स्कीम का लाभ केवल उन्हीं नये लाभूकों को देय होगा जो पूर्व से मत्स्य विपणन् / परिवहन का कार्य कर रहें हों।
  • चयन में न्यूनतम वार्षिक आय वाले लाभूकों को प्राथमिकता दी जाएगी ।
  • योजनान्तर्गत एक व्यक्ति/परिवार को अधिकतम एक पेड-सह-आईस बॉक्स अथवा थ्री व्हीलर अथवा फोर व्हीलर वाहनका लाभ की अनुमान्यता होगी।
  • लाभूक चयन के उपरान्त संबंधित जिला मत्स्य पदाधिकारी-सह-कार्यपालक पदाधिकारी चयनित लाभूकों की सूचना देंगे तथा आवंटन की राशि प्राप्त होते ही क्रयादेश निर्गत करेंगे।

तदोपरान्त लाभूक के द्वारा मछली के विपणन हेतु किसी भी निबंधित वाहन कंपनी का मोपेड-सह-आईसबाक्स/ थ्रीव्हीलर/फोरव्हीलर वाहन का कोटेशन निबंधित वाहन आपूर्तिकर्ता से स्वयं प्राप्त कर कार्यालय को समर्पित किया जायेगा।

मत्स्य विपणन की योजना के लिए जरुरी कागजात

इस योजना में आवेदन करते समय लाभूकों को नीचे दिए गए डॉक्यूमेंट देना होगा। ये सभी कागजात को आवेदन फॉर्म के साथ संग्लन करना जरुरी है

  • दो पासपोर्ट साईज फोटो
  • आधार कार्ड नं०/राशन कार्ड नं०/मतदाता पहचान-पत्र,
  • बैंक खाता संख्या, बैंक शाखा, आई०एफ०एस०सी० कोड
  • जाति एवं आय प्रमाण-पत्र,
  • 10 प्रतिशत अंश दान इकाई लागत की सहमति पत्र
  • वाहन प्रयोग का विपणन् / परिवहनकार्य एवं क्रय की तिथि से आगामी 15 वर्ष तक विक्री नहीं करने का शपथ-पत्र

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इस मत्स्य विपणन की योजना का अनुदान भुगतान:

अति पिछड़ा जातियों को अनुदान स्वरूप निर्धारित इकाई का अधिकत्तम 90 प्रतिशत अथवा क्रय(coast price ) मूल्य का 90 प्रतिशत, दोनों में से जो भी न्यूनतम हो, की अनुमान्यता होगी। शेष राशि लाभूकों के द्वारा स्वंय अथवा बैंक ऋण के द्वारा व्यय करनी होगी । स्वलागत से योजना के क्रियान्वयन में इच्छुक लाभार्थी को प्राथमिकता दी जाएगी

चयनित लाभूक के द्वारा अपना अंशदान सीधे निबंधित वाहन आपूर्तिकर्ता/अभिकर्ता को उपलब्ध करायेंगे तथा इससे संबंधित प्रमाणक/अभिश्रव अपने जिला मत्स्य पदाधिकारी-सह मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी को उपलब्ध करोंगे जिसे जाँचोपरान्त सही पाये जाने के उपरान्त वाहन आपूर्तिकर्ता/अभिकर्ता को वाहन आपूर्ती हेतु आदेश निर्गत किया जायेगा।

प्रधान-मंत्री-मत्स्य-सम्पदा-योजना
प्रधान-मंत्री-मत्स्य-सम्पदा-योजना

तदुपरान्त, वाहन आपूर्तिकर्ता/अभिकर्ता लाभूक का अंशदान प्राप्त होने तथा ससमय वाहन आपूर्ति करने का सहमति पत्र संबंधित जिला मत्स्य पदाधिकारी-सह-मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी को समर्पित करेंगे

योजनान्तर्गत अनुदान की राशि आर०टी०जी० एस०/एन०ई०एफ०टी० के माध्यम से एक पक्ष के अन्दर संबधित वाहन आपूर्तिकर्ता/अभिकर्ता को भुगतान किया जायेगा। इसकी सूचना वाहन आपूर्तिकर्ता/अभिकर्ता तथा लाभूक को दिया जायेगा।

अन्य क्रियान्वयन निदेश

  • सभी लाभार्थी का चयन करते समय जिला मत्स्य पदाधिकारी यह संतुष्ट हो लेंगे कि आवेदक, मत्स्यपालन/मत्स्य _ विपणन/मत्स्य रोजगार से जुडी है ।
  • योजनांतर्गत प्राप्त आवेदनों के साथ संलग्न कागजातों के जिला मत्स्य पदाधिकारी के जांच और संतुष्ट होने के बाद कार्यादेश निर्गत करेंगे ताकि सही लाभार्थियों का चयन सुनिश्चित हो सके।
  • वाहन का वितरण प्रदर्शनी लगाकर विभागीय पदाधिकारियों की उपस्थिति में किया जायेगा
  • आपूर्तिकर्ता/अभिकर्ता के द्वारा वितरित होने वाले मोपेड, थ्री व्हीलर तथा फोर व्हीलर वाहन का चेचीस एवं ईंजन के नम्बर तथा कैशमेमो आदि कागजात दो प्रतियों में संबंधित जिला मत्स्य पदाधिकारी-सह-मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी को उपलब्ध कराया जायेगा.

मात्स्यिकी विकास की योजना:

राज्य के अति पिछड़ी जातियों के लाभुकों हेतु 90 प्रतिशत अनुदान पर मात्स्यिकी विकास की योजना के तहत मत्स्य बीज हैचरी का निर्माण,नये तालाब का निर्माण, ट्यूबवेल पम्पसेट अधिष्ठापन एवं तालाब मात्स्यिकी हेतु उन्नत इनपुट उपलब्ध कराया जायेगा। यह मात्स्यिकी विकास की योजना राज्य के सभी जिलों में लागू की जायेगी जिसका विवरण निम्नलिखित है :

मत्स्य बीज हैचरी का निर्माण

मत्स्य बीज हैचरी का निर्माण की इकाई लागत मो० 22.00 लाख निर्धारित है जिसका 90 प्रतिशत यानि 19.80 लाख अनुदान के रूप में तथा शेष राशि स्वलागत अथवा बैंक ऋण के माध्यम से लाभुकों द्वारा वहन किया जाएगा। यह सुविधा One Time होगी।  निर्धारित अधिकतम लागत इकाई से अधिक व्यय होने पर, अतिरिक्त व्यय राशि का वहन लाभुक द्वारा स्वयं किया जाएगा।

न्यूनतम 8-10 मिलियन फ्राई वार्षिक उत्पादन क्षमता के लिए मत्स्य बीज हैचरी न्यूनतम तीन एकड़ भूमि में निर्मित होगी।योजना का कार्यान्वयन निजी अथवा न्यूनतम 9 वर्ष के निबंधित पट्टा की जमीन पर किया जा सकेगा।

इस स्कीम के तहत लाभार्थी के पास पूर्व से पर्याप्त मात्रा में मत्स्य ब्रुडर अर्थात् मत्स्य नर एवं मादा का उपलब्ध होना, लाभार्थी का मत्स्य पालन तकनीक में प्रशिक्षित एवं मत्स्य बीज उत्पादन का अनुभव होना अनिवार्य होगा ताकि मत्स्य बीच हैचरी के निर्माण के उपरान्त हैचरी का परिचालन ससमय किया जा सके।

मत्स्य-फसल-बीमा-योजना-बिहार
मत्स्य-फसल-बीमा-योजना-बिहार

इस मात्स्यिकी विकास की योजना के अन्तर्गत 4 नये मत्स्य बीज हैचरी के निर्माण का लक्ष्य निर्धारित हैं। लक्ष्य से अधिक आवेदन प्राप्त होने पर मत्स्य पालन का प्रशिक्षण, मत्स्य बीज हैचरी के संचालन एवं प्रबंधन के अनुभव तथा अधिक रकवा में मत्स्य बीज हैचरी का निर्माण करने वाले लाभूक को चयन में प्राथमिकता दी जायेगी।

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नये तालाब का निर्माण :

इस योजना का कार्यान्वयन निजी क्षेत्र में किया जाएगा। योजनान्तर्गत यांत्रिक संसाधन से 5′ (पाँच फीट) मिट्टी की कटाई कर नये तालाब का निर्माण किया जायेगा। इस योजना के सफल कार्यान्वयन से न केवल मत्स्य उत्पादन में अभिवृद्धि होगी बल्कि मत्स्य पालक के वार्षिक आय में भी बढ़ोतरी हो सकेगी।

योजनान्तर्गत अति पिछड़ी जातियों के लाभुको के निजी/निबंधित पट्टे (न्यूनतम नौ वर्ष) की जमीन में नया तालाब का निर्माण किया जायेगा। (ग) एक हेक्टेयर जलक्षेत्र में नया तालाब निर्माण का अधिकतम 7.00 लाख रु० (सात लाख रूपये मात्र) प्रति हेक्टेयर इकाई लागत निर्धारित है।

लागत ईकाई का 90 प्रतिशत अनुदान का प्रावधान है शेष 10 प्रतिशत लाभुक के द्वारा स्वलागत अथवा बैंक ऋण के माध्यम से वहन किया जायेगा।

निर्धारित अधिकतम लागत इकाई से अधिक व्यय होने पर, अतिरिक्त व्यय राशि का वहन लाभुक द्वारा स्वयं किया जाएगा। योजना का लाभ एक व्यक्ति/परिवार को अधिकतम दो हेक्टेयर तथा ग्रूप में अधिकतम चार हेक्टेयर जल क्षेत्र में नया लाताब निर्माण की अनुमान्यता होगी।

तालाबों पर ट्यूबवेल तथा पम्प सेट अधिष्ठापन की योजना :

इस योजना का उद्देश्य अति पिछड़ी जातियों के मत्स्य पालकों के तालाबों में सालों भर जल की उपलब्धता सुनिश्चित किया जाना है। स्कीम अन्तर्गत मत्स्य पालकों के नव निर्मित तालाबों अथवा पूर्व निर्मित तालाबों के बांध पर ट्यूबवेल एवं पम्प सेट का अधिष्ठापन किया जायेगा। इस स्कीम अन्तर्गत 200 ट्यूबवेल एवं 200 पम्प सेट का अधिष्ठापन किया जायेगा

प्रति ट्यूबवेल तथा पम्प सेट का अधिकतम इकाई लागत क्रमशः 50 हजार एवं 25 हजार रुपये अथवा वास्तविक मूल्य, दोनों में से जो भी न्यूनतम होगा उसका 90 प्रतिशत अनुदान देय होगा। शेष 10 प्रतिशत राशि लाभूक के द्वारा अंशदान के रूप में बैंक ऋण अथवा स्वलागत से वहन किया जायेगा।

निर्धारित अधिकतम इकाई लागत से अधिक व्यय होने पर, अतिरिक्त व्यय राशि का वहन लाभूक के द्वारा स्वयं किया जाएगा।

इस स्कीम अन्तर्गत ट्यूबवेल/पम्प सेट अधिष्ठापन हेतु न्यूनतम 0.40 एकड़ जलक्षेत्र का तालाब अनिवार्य होगा तथा पम्प सेट न्यूनतम 5 एच०पी० क्षमता का होगा। पम्पसेट डीजल/बिजली चालित होंगे। टयूबवेल, पम्पसेट, पाईप, आदि सामग्री आई०एस०आई०मार्क का होगा। पक्का रसीद (जी०एस०टी०) जिला मत्स्य कार्यालय में लाभूक द्वारा समर्पित किया जायेगा। पक्का रसीद में आपूर्ति की गई पम्पसेट का कम्पनी का नाम, निर्माण की तिथि, पम्प नम्बर, इंजन नम्बर, आदि उल्लेख करना अनिवार्य होगा। सामग्रियों का क्रय लाभूक स्वयं करेंगे।

अति पिछड़ी जातियों के मत्स्य पालक के पास यदि पूर्व से 40 डिसमल अथवा अधिक जलक्षेत्र का तालाब उपलब्ध हो तो भी स्कीम अन्तर्गत ट्यूबवेल/पम्पसेट की अनुमान्यता होगी। अगर पूर्व से लाभूक को उस जमीन पर बोरिंग पम्पसेट उपलब्ध हो तो इस योजना से बोरिंग पम्पसेट देय नहीं होगा। दोनों में से कोई एक अवयव की कमी पूरी की जा सकेगी।

इस योजना का लाभ एक व्यक्ति/परिवार अथवा समुह को एक ट्यूबवेल एवं एक पम्पसेट की अनुमान्यता होगी।

तालाब मात्स्यिकी हेतु इनपुट :

इस प्रकल्प के तहत राज्य में मत्स्य उत्पादन में गुणोत्तर वृद्धि हेतु अतिपिछड़ी जाति के मत्स्यपालकों को तालाब मात्स्यिकी हेतु उन्नत इनपुट उपलब्ध कराना है ताकि तालाबों में 25 ग्राम बजन के अंगुलिकाओं का संचयन कर कम समय में ही बाजार योग्य मछली का उत्पादन किया जा सकेगा।

उन्नत बीज संचयन के अलावे उन्नत व्यवसायिक पूरक आहार जो बाजार में पिलेट एवं फ्लोटींग फीड के रूप में उपलब्ध है को तालाब में मत्स्य आहार के रूप में प्रयोग हेतु उपलब्ध कराया जायेगा। इसके अलावे अन्य प्रबंधकीय उपायों यथा जल की गुणवत्ता तथा मछली स्वास्थ्य जैसे गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जायेगा।

यह एक फसली स्कीम है। इसके तहत किसानों का रूझान तालाब में मत्स्य बीज के अलावा अन्य इनपुट (फीड, मेन्योरिंग, दवा) आदि के तरफ बढ़ाना है जिससे टिकाउ एवं सत्त मत्स्य उत्पादन तालाब मात्स्यिकी से हो सकें।

इस स्कीम का लाभ अतिपिछड़ी जाति के निजी अथवा पट्टा पर ली गयी सरकारी तालाबों के लिए लाभूकों को देय होगा। यदि लाभूक को गत वित्तीय वर्ष के इनपुट योजना का लाभ चालू वित्तीय वर्ष में अथवा चालू वित्तीय वर्ष के किसी अन्य इनपुट स्कीम का लाभ प्राप्त हुआ हो तो उसे इस योजना के तहत लाभ देय नहीं होगा।

इनपुट स्कीम का लाभ एक व्यक्ति/परिवार को अधिकतम 1 हेक्टेयर तथा ग्रुप में अधिकतम 4 हेक्टेयर जल क्षेत्र की अनुमान्यता होगी। साथ ही किसी भी वर्ग के लाभूकों को लगातार अथवा टूट में अधिकतम दो बार तक ही लाभ देया होगा।

 यह योजना तालाब मात्स्यकी के उत्पादन एवं उत्पादकता को बढ़ाने के लिए है जिसमें किसानों को मत्स्य-बीज, मत्स्य आहार, मेडिसीन एवं अन्य इनपुट एक साथ उपलब्ध कराने के उद्देश्य से लागू की जा रही है।

तालाब मात्स्यिकी हेतु इनपुट अनुदान की राशि

योजना के तहत तालाब में 25 ग्राम से अधिक साईज का भारतीय एवं विदेशी कार्प मछलियों के उन्नत अंगुलिकाओं का संचयन 5000 प्रति हे० की दर से किया जायेगा अर्थात प्रति हेक्टेयर लगभग 125 कि0ग्रा0 बीज होगा जिस पर मो0 250.00 रुपये (दो सौ पचास रूपये) प्रति किलो (पैकेजिंग एवं परिवहन सहित) की दर से मो० 31250.00 (एक तीस हजार दो सौ पचास) रूपये/हे0 का व्यय होगा।

योजनान्तर्गत मत्स्य बीज, मत्स्य आहार, तालाब प्रबंधन, मछली स्वास्थ्य प्रबंधन एवं जल की गुणवत्ता आदि मदों में समेकित रूप से मो० 1.50 लाख (एक लाख पचास हजार) रूपये प्रति हेक्टर इकाई लागत निर्धारित है जो भारत सरकार के नीली क्रांति योजना के तहत इनपुट व्यय पर निर्धारित राशि के अनुरूप है।

निर्धारित लागत इकाई से अधिक व्यय होने पर, अतिरिक्त व्यय राशि का वहन लाभुक के द्वारा स्वयं किया जाएगा। निर्धारित लागत ईकाई का 90 प्रतिशत अनुदान का प्रावधान है शेष 10 प्रतिशत राशि का अंशदान लाभूक के द्वारा स्वलागत अथवा बैंक ऋण के माध्यम से किया जायेगा।

इस योजना के तहत अति जातियों के मत्स्य पालकों के 210 हे० जलक्षेत्र में तालाब आच्छादित करने का लक्ष्य है जिसपर अनुदान स्वरूप मो० 283.50 लाख राशि व्यय होने का अनुमान है तथा अति पिछड़ी जाति के न्यूनतम 1000 लाभूक लाभान्वित होंगे।

इस योजना के सफल कार्यान्वयन से देशी एवं विदेशी कार्प मछलियों के उत्पादन में अभिवृद्धि हागी।

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मात्स्यिकी विकास की योजना के लिए जरुरी कागजात

लाभूकों के द्वारा नीचे दिए गए कागजात को आवेदन के साथ संलग्न कर देना होगा।

  • स्व-अभिप्रमाणित दो पासपोर्ट साईज फोटो
  • फोटोयुक्त पहचान पत्र, आधार कार्ड नं०/राशन कार्ड नं०/मतदाता पहचान पत्र,
  • मोबाईल नम्बर
  • बैंक खाता सेख्या, बैंक शाखा, आइ०एफ०एस०सी० कोड
  • जाति एवं आय प्रमाण पत्र
  • इकाई लागत का 10 प्रतिशत अंशदान का सहमति पत्र
  • अद्यतन राजस्व रसीद, भूमि स्वामित्व प्रमाण पत्र/न्यूनतम 9 वर्ष के निबंधित पट्टा (उन्नत इनपुट एवं उन्नत मत्स्य बीज उत्पादन योजनाओं को छोड़कर), जमीन का नक्शा आदि

मात्स्यिकी विकास की योजना लाभुकों का चयन:

पूर्ण रूप से सभी कागजातों के साथ समर्पित आवेदन पत्रों को ही चयन हेतु जिला मत्स्य पदाधिकारी-सह-मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी के द्वारा संकलित किया जायेगा। अपूर्ण एवं त्रुटिपूर्ण प्राप्त आवेदन-पत्रों को चयन हेतु विचार नहीं किया जायेगा।

साथ ही, आवेदक के द्वारा प्रस्तावित भूमि/तालाब पर अपना पासपोर्ट आकार का फोटोग्रॉफ आवेदन पत्र के साथ संलग्न करना होगा। फोटोग्रॉफ लेण्डमॉर्क/विभेदक-चिन्ह स्पष्ट हो ताकि स्थल निरीक्षण के क्रम में प्रस्तावित भूमि/तालाब का सुलभता के साथ पहचान हो सके।

मत्स्य हैचरी निर्माण से सम्बन्धित आवेदन पत्र के साथ लाभार्थी के पास पूर्व से प्राप्त मात्रा में मत्स्य ब्रुडर अर्थात मत्स्य नर एवं मादा की उपलब्धता, मत्स्य बीज उत्पादन का अनुभव एवं मत्स्य प्रशिक्षण का प्रमाण-पत्र/ दस्तावेज संलग्न करना अनिवार्य हैं।

उन्नत इनपुट योजना एवं उन्नत मत्स्य बीज उत्पादन योजना हेतु लाभूक को निजी/लीज/पट्टा पर तालाब होना आवश्यक है। तालाब के निजी स्वामित्व हेतु भू-स्वामित्व प्रमाण पत्र/अद्यतन लैंड रिसीट, सरकारी में वैद्ध पट्टा एवं लीज के तालाब में लीज एकरारनामा (न्यूनतम 11 माह का) आवेदन के साथ संलग्न करना आवयश्क होगा। इसके लिए आवेदक को एक शपथ पत्र (नोटरी) देना होगा जिसमें यह अंकित होगा कि उनके द्वारा मत्स्य पालन का कार्य सरकारी/निजी/पट्टा पर ली गई तालाब मे की जा रही है एवं तालाब विवाद रहित है।

लक्ष्य से अधिक आवेदन प्राप्त होने पर ही लाभकों का चयन, उप मत्स्य निदेशक की अध्यक्षता में गठित समिति के द्वारा की जायेगी।

मत्स्य हैचरी निर्माण से सम्बन्धित लाभुकों के चयन करते समय लाभार्थी के पास पूर्व से उपलब्ध मत्स्य ब्रुडर, मत्स्य बीज उत्पादन का अनुभव, अधिक रकवा एवं स्वलागत से हैचरी निर्माण करने वाले एवं मत्स्य पालन/हैचरी संचालन में प्रशिक्षण प्राप्त को प्राथमिकता दी जाएगी।

उन्नत मत्स्य इनपुट से सम्बन्धित लाभुकों के चयन करते स्पय लघु/सीमान्त/जीविका समूह के लाभार्थी को प्राथमिकता दी जाएगी।

मात्स्यिकी विकास योजना अनुदान भुगतान :

अति पिछड़ी जातियों को मात्स्यिकी विकास योजना के उपर्युक्त सभी धटकों में निर्धारित इकाई लागत का अधिकत्तम 90 प्रतिशत अनुदान के रूप में तथा शेष राशि लाभुकों के द्वारा स्वंलागत अथवा बैंक ऋण के द्वारा वहन की जाएगी।

मात्स्यिकी विकास योजनान्र्तगत तीनों घटकों नया तालाब निर्माण, ट्यूबवेल एवं पम्पसेट तथा उन्नत इनपुट योजनाओं में अनुदान की राशि दो बराबर किश्तों में दी जाएगी।

नया तालाब निर्माण के 50 प्रतिशत मिट्टी खुदाई पुरा होने पर, ट्यूबवेल एवं पम्पसेट अवयव में ट्यूबवेल के अधिष्ठापन होने पर तथा उन्नत इनपुट योजनामें तालाब की तैयारी एवं वांछित आकार एवं संख्या के मत्स्य बीज संचय कर लेने के उपरांत, लाभार्थी के द्वारा कार्यालय में समर्पित दावा पत्र तथा क्षेत्रीय प्रभारी/योजना प्रभारी के स्थल निरीक्षण प्रतिवेदन के आधार पर योजनान्तर्गत देय प्रथम किश्त की अनुदान राशि उप मत्स्य निदेशक की अध्यक्षता में गठित समिति के अनुमोदनोपरांत एक पक्ष के अन्दर dbt के माध्यम से सीधे लाभूक के बैंक खाता में अंतरित किया जायेगा।

नया तालाब निर्माण के शेष कार्य पूर्ण होने पर, ट्यूबवेल एवं पम्पसेट अवयव में 5 एच०पी० पम्पसेट के अधिष्ठापन होने पर तथा उन्नत इनपुट योजनामे लाभार्थी के द्वारा शेष अभिश्रव/प्रमाणक कार्यालय में समर्पित करने के उपरान्त क्षेत्रीय प्रभारी/योजना प्रभारी/कनीय अभियंता के स्थल निरिक्षण प्रतिवेदन के आधार पर द्वितीय किश्त की राशि कार्य समाप्ति के उपरांत लाभुक के द्वारा समर्पित अनुदान दावा आवेदन (फोटोग्राफ सहीत)

के आलोक में स्थल जॉचोपरांत प्राप्त प्रतिवेदन, सत्यापित माँपी पुस्तिका (उन्नत इनपुट में लागू नही), निर्मित/अधिष्ठापित घटक के साथ संयुक्त फोटोग्राफ आदि के समीक्षा एवं जाँचोपरान्त शेष अनुदान राशि का भुगतान उप मत्स्य निदेशक की अध्यक्षता में गठित समिति के अनुमोदनोपरांत एक पक्ष के अन्दर DBT के माध्यम सीधे लाभुक के बैंक खाता में अंतरित किया जायेगा।

मत्स्य हैचरी के निर्माण में अनुदान राशि की विमुक्ति तीन किश्तों में
  • मिट्टी खुदाई एवं सिविल निर्माण कार्यों से सम्बद्व अनुदान राशि को दो बराबर किश्तो अर्थात प्रथम एवं द्वितीय किश्त तथा
  • हैचरी सेचालन हेतु इनपुट से सम्बद्व अनुदान राशि को तृतीय किश्त के रूप में दी जाएगी।

नर्सरी, रियरिंग एवं ब्रुडर तालाबों के निर्माण, अन्य सभी मिट्टीखुदाई/भराई कार्यो के पश्चात प्रथम किस्त, सर्कुलर ब्रिडिंग टैंक, ऍग कॉलेक्शन चेम्बर, हैचिंग पुल, स्पॉन कॉलेक्शन चेम्बर, ऑवर हेड टैंक एवं जेनरेटर रूम के निर्माण के उपरान्त द्वितीय किस्त तथा हैचरी संचालन हेतु इनपुट सामाग्रियों के क्रय से सम्बन्धित रसीद/अभिश्रव कार्यालय में समर्पित करने के पश्चात तृतीय किश्त, योजना प्रभारी/क्षेत्रिय प्रभारी/विभागीय अभियंता के स्थल निरिक्षण/जाँच प्रतिवेदन के आधार पर उप मत्स्य निदेशक की अध्यक्षता में गठित समिति के अनुमोदनोपरांत अनुदान की राशि आर०टी०जी० एस०/एन०ई०एफ०टी० के माध्यम सीधे लाभुक के बैंक खाता में एक पक्ष के अंदर विमुक्त किया जायेगा।

मत्स्य हैचरी निर्माण में प्रथम एवं द्वितीय किश्त की राशि के अनुरूप कार्य समाप्ति के उपरांत लाभुक के द्वारा समर्पित अनुदान मांग से सम्बन्धित आवेदन (फोटोग्राफ सहित) के आलोक में स्थल जॉच प्रतिवेदन, सत्यापित माँपी पुस्तिका, निर्मित घटक के साथ संयुक्त फोटोग्राफ आदि अनुदान भुगतान हेतु गठित समिति के समक्ष उपस्थापित करना अनिवार्य हैं।

लाभूकों के द्वारा एक शपथ पत्र दी जाएगी, जिसमें यह स्पष्ट उल्लेख होगा की योजनान्तर्गत प्रथम किस्त/द्वितीय किस्त/तृतीय किष्त अनुदान प्राप्त करने के पश्चात अगर उनके द्वारा कतिपय कारणों से योजना पूरी नहीं की जाती है तथा उत्पादन के अंतिम आंकड़ा आदि कार्यालय में समर्पित नहीं की जाती हैं तो इस परिस्थिति में उनके द्वारा प्राप्त अनुदान की राशि वापस की जाएगी अन्यथा राशि की वसूली हेतु उनके विरूद्ध नीलाम पत्र वाद दायर की जाएगी। साथ ही, उन्हें काली सूची में डाली जायेगी तथा उन्हें किसी भी विभागीय योजना का लाभ देय नहीं होगा।

मुख्यमंत्री मत्स्य विकास योजना 2023 conclusion

इस पोस्ट में मैंने मुख्यमंत्री मत्स्य विकास परियोजना के तहत  मत्स्य विपणन की योजना और मात्स्यिकी विकास की योजना दोनों योजनाओ के बारे में जानकारी दी है उम्मीद है आपको सभी जानकारी मिल गया होगा। अगर इस मुख्यमंत्री मत्स्य विकास परियोजना से जुड़े किसी तरह के सवाल है तो कमेंट करके नीचे पूछ सकते है

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